हजारों साल के वैज्ञानिकों के सारे रिसर्च को कोरोना ने फेल कर दिया

दीपक नारंग
वरिष्ठ संवाददाता
हजारों साल से इंसान ने विज्ञान, शिक्षा व उद्योग के क्षेत्र में जो बड़े-बड़े मुकाम हासिल करने का दावा कर रहा था । बड़ी-बड़ी चुनौतियों का पल भर में मुकाबला करने की बात हो रही थी इस तरह से विकास करने की बात हो रही थी जिसमें इंसान खुद को ईश्वर समझ बैठा था। इंसान इंसान ना होकर खुद को ब्रह्मा समझ रहा था । महज 3 महीने में ही इस कोरोना वायरस ने इंसान को बैलगाड़ी के युग में लाकर खड़ा कर दिया । जिस बैलगाड़ी से इंसान ने विकास करने के लिए पहला कदम बाहर निकला था । आज लोगों का घर से निकलना बंद हो गया है । कोई अपना मोटर वाहन भी नहीं चला सकता है। सार्वजनिक वाहन के पहिए थक चुके हैं। ट्रेन बंद हो चुकी है। उड़ानों पर पूरी तरह की पाबंदी लग गई है । जो जहां है वही रुक गया है । यह वक्त है जब हमें अपने विकास पर पुनर्विचार करने की भी जरूरत है। कि हम मानव जीवन को सुविधा देने के लिए भले ही बड़े-बड़े आविष्कार कर लें। मगर जब महामारी की चुनौतियां आएंगी तो इंसान को अपनी औकात का अंदाजा लग जायेगा।
आज दुनिया भर के वैज्ञानिक बौने साबित हो गए हैं
वैज्ञानिक चांद पर दुनिया बसाने के सपने को छोड़कर आज धरती पर जान बचाने के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। वैज्ञानिकों को समझ में नहीं आ रहा है कि कोरोना वायरस की महामारी से लोगों कैसे बचाया जाय। आज दुनिया के 180 देश इस महामारी की चपेट में है 14 हजार से अधिक लोगों की अकाल मृत्यु हो गई है। दुनिया भर तीन लाख से अधिक लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। जो उनके परिजन है। वे अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं । यह सब महज 3 महीने का नज़ारा है । दुनिया भर के वैज्ञानिक चांद, मंगल, बृहस्पति और शनि ग्रह के उथल- पुथल जानकारी जुटा रहे थे। उस घड़ी में कोरोना वायरस ने सभी आविष्कारों पर विराम लगा दिया। वैज्ञानिकों को संदेश भी दिया कि प्रकृति से खिलवाड़ करना ना सिर्फ घातक है। बल्कि पूरी मानव सभ्यता के लिए खतरनाक है । सिर्फ 3 महीने में पूरी दुनिया थम गई है । यह समझने का वक्त है कि प्रकृति के सामने हम बौने थे ,बौने हैं, और बौने रहेंगे। आज हजारों साल के सारे रिसर्च फेल हो चुके हैं। सारी लैबोरेट्री सुनी हो चुकी हैं। इंसान ऐसी चुनौती से जूझ रहा है। जिसका मुकाबला करने में वो असहाय है यह तो सिर्फ एक बानगी है आने वाले दिनों में अगर इसी तरह से किसी और वायरस ने हमला किया तो उसका अंजाम क्या होगा ? अब कम से कम सबको पता हो गया हैं। इसलिए ना तो जिंदा सांप, छछूंदर ,बिच्छू ,चमगादड़ और अन्य जानवरों को खाना चाहिए। और ना ही चोरी-छिपे पूरे दुनिया को तबाह करने के लिए बायोलॉजिकल बम बनाने की जरूरत है। यह सभी को पता है की कोरोना वायरस चीन के वुहान से फैला है आखिर चीन इस वायरस को लेकर क्या कर रहा था । इस पर भी रिसर्च होना चाहिए।
कोरोना वायरस ने मानवीय भावना को भी चकनाचूर कर दिया
कोरोना वायरस ने जिस तरह के हालात पैदा किए हैं ऐसे में इंसानियत का भी दम घुट रहा है। इटली में ना जाने ऐसे कितने मासूम लोग कोरोना का शिकार हुए जहां इंसानियत भी रो पड़ी। एक बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार इसलिए नहीं कर सका। क्योंकि उसे पता था कि अंतिम संस्कार करने पर उसे भी कोरोना अपने खूनी पंजे का शिकार बना लेगा । बेटे के सामने ही उसके मृत पिता को लावारिस घोषित कर दिया गया। और उस शव को उसकी किस्मत के हवाले छोड़ दिया गया। दरअसल जब एक परिवार के एक सदस्य को कोरोना रहा है तो उसके परिवार के सारे लोग उसका साथ छोड़ दे रहे हैं। उन्हें भी डर सता रहा है क्योकि वे बेमौत मारे जाएंगे।
जरा सोचो कोरोनावायरस के फैलने के लिए कौन है जिम्मेदार
संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ पूरी दुनिया को अभी सोचना चाहिए कि आज चीन के वुहान शहर से फैला कोरोनावायरस मौत बनकर आगे बढ़ रहा है। आखिर इस वायरस को फैलाने वाले देश चीन के खिलाफ क्या होना चाहिए?
आने वाले दिनों में अगर किसी और देश ने इसी तरह से वायरस को फैला दिया तो इंसानी बस्ती का नामोनिशान मिट सकता है। ऐसे में चीन के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है। वही ऐसा भी कानून बनना चाहिए कि अगर कोई देश महामारी का वायरस फैलाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। आखिर में क्योंकि कोरोना वायरस का प्रकोप चल रहा है। इसलिए आप सुरक्षित रहें ,घर में रहें,और दूसरों को भी सुरक्षित रखें और इस बात पर विचार जरूर करें कि कोरोना वायरस का आखिर असली गुनाहगार कौन है ?