लॉकडाउन में पहाड़ पर फरिश्ता बनकर करा रहे हैं भोजन
दीपक नारंग
पहाड़ पर उतरे फरिश्ते जरूरतमंदों को खिला रहे हैं खाना
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू है इस वक्त मजदूरों और कामगारों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। पहाड़ों पर जगह-जगह कामगार व मजदूर ठहरे हुए हैं । जहां टिहरी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद भट्ट ऑनरी कैप्टन (रिटायर) राजेंद्र रतूड़ी ने जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है । लक्ष्मी प्रसाद भट्ट ,राजेंद्र रतूड़ी जिला प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की । जरूरतमंदों को सुबह-शाम भोजन खिलाने के अनुमति मानी। प्रशासन ने जरूरतमंदों को भोजन खिलाने की अनुमति प्रदान कर दी। इसके बाद पहाड़ की रसोई की शुरुआत हुई जहां से मजदूरों को सेवा भाव से भोजन कराया जा रहा है। टिहरी के बौरारी बस स्टैंड के पास सैकड़ों जरूरतमंदों को 28 मार्च से सुबह शाम भोजन कराया जा रहा है ।
सोशल डिस्टेंसिंग का किया जा रहा है पालन
टिहरी में जिस तरह से होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, उत्तराखंड सचिवालय में कार्यरत सहायक समीक्षा अधिकारी राजेंद्र रतूड़ी व अन्य लोग जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। वही वे सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रहे हैं। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद भट्ट का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सभी लोगों को अपनी भागीदारी तय करनी होगी । उनका कहना है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम लोगों से घरों में रहने की अपील की है । उसका सभी लोग पालन कर रहे हैं। सहायक समीक्षा अधिकारी राजेंद्र रतूड़ी का कहना है कि लॉकडाउन होने की वजह से पहाड़ों में कई स्थानों पर मजदूरों के सामने खाद्यान्न संकट की स्थिति गंभीर हो रही थी जिसको देखते हुए सभी लोगों ने जरूरतमंदों की मदद करने का बीड़ा उठाया है । लगातार भोजन कराया जा रहा है। उनका कहना है कि लगातार लोग मजदूरों व दूसरे जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं । सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा हैं ।वही मजदूरों का कहना है कि जिस तरह से उन्हें सुबह-शाम भोजन मिल रहा है ऐसे में भोजन कराने वाले लोग उनके लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है परहित सरिस धर्म नहिं भाई,पर पीड़ा सम नहिं अधमाई अर्थात परोपकार करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है। आज लॉकडॉन के दौरान जिस तरह से सामाजिक लोग सामने आ रहे हैं । यकीनन यह प्रशंसनीय कार्य है।