खेतों में हल लगाकर अपनी आजीविका चला रही है कौशल्या देवी, युवाओं के लिए बन रही है प्रेरणा
सोहन सिंह
संवाददाता
बंजर पड़े खेतों में हल लगाकर चला रही हैं अपनी आजीविका
कौशल्या देवी खेतों में हल लगाकर अपने बच्चों का कर रही है भरण-पोषण
कई खेतो में फिर से लहराने लगी है फसलें
कहते हैं कि इंसान नगर किसी कार्य को करने का संकल्प कर लें तो 50 फ़ीसदी काम उसके संकल्प मात्र से ही पूरा हो जाता है। दार्शनिक अरस्तु ने भी कहा था मनुष्य परिस्थितियों का दास होता है । मगर कभी-कभी इंसान परिस्थितियों की बेड़ियों को तोड़कर ऐसी इबारत लिखता है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाती है ।उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कठूड़ गांव की रहने वाली कौशल्या देवी ने नारी शक्ति के साहस व संकल्प का जो परिचय दिया है वह युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है। कौशल्या देवी के पति की कई साल पहले मौत हो गई। उनके चार बच्चे हैं । पति के मृत्यु के बाद रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया । कौशल्या देवी ने हिम्मत नहीं हारी। अपने खेतों में हल लगाने लगी। जिससे बच्चों की परवरिश हो सकें और घर का खर्चा भी चल सकें। फिलहाल इससे जब गुजर बसर नहीं हुआ तो उन्होंने अपने गांव के दूसरे लोगों के खेतों में हल लगाकर पैसा कमाने का संकल्प किया कठूड़ गांव में करीब 12 परिवारों के खेतों को जुताई करती हैं ।अब उनकी जिंदगी का मकसद है कुछ भी हो बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जाए और उनकी अच्छी तरह से परवरिश हो सकें।
कृषि क्षेत्र के विकास में महिलाओं की भूमिका है महत्वपूर्ण
एक आंकड़े के मुताबिक देश में 48% कृषि रोजगार के क्षेत्र में महिलाएं काम करती हैं । इसी तरह से करीब साढ़े सात करोड़ महिलाएं दुग्ध उत्पादन और पशुधन व्यवसाय की गतिविधियों में अपनी उपयोगिता को सिद्ध कर रही है। फिलहाल कृषि क्षेत्र के श्रम में करीब 60 से 80 फ़ीसदी महिलाएं जुड़ी हुई है। कौशल्या देवी का हल लगाकर खेतों की जुताई करना ,जहां लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। वहीं इसके कई मायने भी हैं । पर्वतीय क्षेत्रों में रोजी रोटी के लिए जो युवा घरों को छोड़कर शहरों को गए थे कोरोना वायरस के वैश्विक महामारी के चलते अब वे एक बार फिर अपने गांव को लौट आए हैं। ऐसे में कौशल्या देवी उनके उनके लिए प्रेरणा बन रही है। क्योंकि बंजर पड़े खेतों की जुताई कर रही हैं जिससे फसलें लगाई जाएंगे ।प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के सीमांत गांव सामरिक नजरिए से भी काफी महत्वपूर्ण है ऐसे में सरकार की भी कोशिश है कि सीमांत गांव में पलायन होने से रोका जाए। अगर कौशल्या देवी जैसी नारी काम कर रही है । यकीनन एक बार फिर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के गांव आबाद होंगे । खेतों में फसलें लहराएंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
पौड़ी जिले के कांग्रेस पार्टी के नेता सरिता नेगी का कहना है कि जिस तरह से कौशल्या देवी हल चलाकर अपनी आजीविका चला रही हैं । यह नारी शक्ति का एक रूप है । ऐसे में कौशल्या देवी की सरकार को आर्थिक मदद देना चाहिए । कौशल्या देवी सुबह 4:00 बजे उठकर अपने बच्चों के लिए खाना बनाती हैं और 6:00 बजे खेतों में हाल लगाने के लिए निकल पड़ती है उनके इस जीवट श्रम के लिए हम उन्हें प्रणाम करते हैं और कोशिश करते हैं कि सरकार इमदाद के साथ-साथ अन्य लोगों की भी सहायता जरूर मिलें । आर्थिक सहायता जरूर मिलेें