जब पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के पीछे पड़ी थी पुलिस
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने अंग्रेजों के दांत किए थे खट्टे।
चौधरी चरण सिंह के पीछे जब पड़ी थी ब्रितानी हुकूमत की पुलिस।
साउथ एशिया 24*7 डेस्क
किसानों के मसीहा भारत के पांचवें प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह कि आज 33वीं पुण्यतिथि है। चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को और उनका निधन 1987 को हुआ था। चौधरी चरण सिंह का पूरा जीवन भारतीय सभ्यता संस्कृति और ग्रामीण प्रवेश की मर्यादाओं को समर्पित था।चौधरी चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार में हुआ था।
स्वाधीनता के वक्त चौधरी चरण सिंह ने देश की राजनीत में पहला कदम रखा ।उन्होंने बरेली जेल में डायरी को भी लिखा था ।बाबूगढ़ की छावनी के निकट नूरपुर गांव तहसील हापुड़ और जिला गाजियाबाद यह वह इलाका था जहां बड़े पैमाने पर खेती होती थी काली मिट्टी के खेतों में गन्ना, धान, गेहूं के साथ सब्जियां भी उगाई जाती थी।
ऐसे परिवेश में चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह अपने नैतिक मूल्यों के लिए जाने जाते थे । चौधरी चरण सिंह के जन्म के 6 साल के बाद उनके पिता सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढ़ी आकर बस गए चौधरी चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ली ।अपनी ईमानदारी ,साफगोई और कर्तव् निष्ठा के साथ गाजियाबाद में वकालत शुरू की।
वकालत जैसे पेशे में चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को लड़ते थे ।जिसमें मुवक्किल का पक्ष न्याय पूर्ण होता था 1929 में जब कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन के दौरान स्वराज की घोषणा की तो चौधरी चरण सिंह गाजियाबाद में कांग्रेस पार्टी के कमेटी का गठन किया।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर जब डांडी मार्च निकाला गया। तो चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद के हिंडन नदी पर नमक बनाया था ।
जिसके चलते चौधरी चरण सिंह को 6 महीने की सजा भी हुई थी और इसी के बाद चौधरी चरण सिंह महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम को अपना उद्देश बना लिया।1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह करने पर उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया। जब महात्मा गांधी ने करो या मरो का आह्वान किया।
अंग्रेजों भारत छोड़ो की आवाजें बुलंद हुई होने लगी तो उसी वक्त अगस्त 1942 को चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद, हापुड़, मवाना, सरधना, बुलंदशहर जैसे इलाकों के तमाम गांव में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया।
उस वक्त की मेरठ कमिश्नरी ने चौधरी चरण सिंह को देखते ही गोली मारने के आदेश दिया ।कुछ दिनों के बाद चौधरी चरण सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया । उन्हें डेढ़ साल की सजा हुई फिलहाल उस दौरान उन्होंने शिष्टाचार नाम की एक भारतीय संस्कृत पर किताब भी लिखी।
जिसे बहुमूल्य दस्तावेज के तौर पर देखा जाता है। आज जितने भी जनता पार्टी से दल जुड़ें है उड़ीसा में बीजू जनता दल हो बिहार में राष्ट्रीय जनता दल हो जनता दल यूनाइटेड हो या ओम प्रकाश का लोक दल हो चौधरी अजीत सिंह का राष्ट्रीय लोक दल हो या मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी हो यह सब चौधरी चरण सिंह की विरासत का एक हिस्सा है ।चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा थे चौधरी चरण सिंह की आंदोलन से ही जमींदारी उन्मूलन उन्मूलन विधेयक में बदलाव किया गया ।
1952 में उत्तर प्रदेश में जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ। गरीबों को अधिकार मिला ।लेखपाल के पद पर तैनाती शुरू हुई। 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित किया गया।
3 अप्रैल 1967 को चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। और 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यवर्ती चुनाव में उन्हें सफलता मिली। दोबारा 17 फरवरी 1970 को मुख्यमंत्री बनें। इसके बाद वह केंद्र सरकार में गृह मंत्री बने। अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की ।1979 में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास की उन्होंने स्थापना की।जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस के सहयोग से प्रधानमंत्री बनें आज किसानों के मसीहा देश के पांचवें प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि है । हम ऐसे महान क्रांतिकारी बहुआयामी प्रतिभा के धनी चौधरी चरण सिंह को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि देते हैं।
किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह के जीवन से हमें कई प्रेरणा मिलती है। इंसान अगर दृढ़ संकल्प करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निकले ।तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है । चौधरी चरण सिंह अपने बाल्यकाल में कई तरह की मुसीबतों का सामना किया था । ब्रिटिश हुकूमत के दौरान कोई भी काम करना इतना आसान नहीं था । उस दौर में राजनीति के जरिए किसी लक्ष्य को हासिल करना बहुत मुश्किल था क्योंकि ब्रिटिश हुकूमत के तहत ही काम करने की मजबूरी हुआ करती थी। मगर चौधरी चरण सिंह ने हमेशा किसानों व जरूरतमंदों की मदद की।
चौधरी चरण सिंह ने सिर्फ राजनीतिक में वह मुकाम हासिल किया जिसको आज की युवा पीढ़ी सिर्फ इतिहास के पन्नों में पढ़ती है । बल्कि उन्होंने कई राज्यों में कई बड़े किसान नेता नेताओं की फौज भी खड़ी कर दी । जो देश के किसानों की आवाज को संसद में उठाते हैं । यहां तक कि ओम प्रकाश चौटाला, मुलायम सिंह यादव जैसे सरीखे किसान नेताओं ने चौधरी चरण सिंह से बहुत कुछ सीखा था यही वजह रही कि ऐसे किसान नेता हमेशा पार्लियामेंट में भी किसानों की आवाजें बुलंद की।
जिस परिवेश में चौधरी चरण सिंह ने राजनीति में कदम रखा । और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी वह बहुत मुश्किल भरा दौर था ।अंग्रेजों भारत छोड़ो का आह्वान किया था तो उस वक्त चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद मेरठ के आसपास के गांव में कई गुप्त सभाएं भी की थी और ऐसा कहा जाता है कि उस समय ब्रितानी हुकूमत ने उन्हें गोली मारने के लिए आदेश दिए थे ।आजादी की लड़ाई में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें बहुत यातनाएं भी दी थी ।फिलहाल आज उनके योगदान को पूरा देश याद करता है ।चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग भी तेज हो रही है चाहे किसान नेता हो ,चाहे कई राजनीतिक दलों के कद्दावर नेताओं सभी एक सुर से चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से पुरस्कृत की करने की मांग करते हैं । चौधरी चरण सिंह ऐसे नेता थे जो जिन जिनकी पैठ कई राजनीतिक दलों में थी जिनका सभी राजनीतिक दल के नेता सम्मान करते थे । यही वजह है कि आज उनके अनुयाई अलग अलग दलों में होकर भी उनका उनसे प्रेरणा लेकर राजनीति कर रहे हैं। जनसमस्याओं किसानों की मांग को आज भी उनके समर्थक सड़क से लेकर सदन तक उठा रहे हैं।