अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग हुई तेज
अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग हुई तेज
ब्यूरो रिपोर्ट
आज सोशल मीडिया पर अहीर रेजीमेंट बनाने की कवायद काफी तेजी के साथ चल रही है। ट्विटर पर अहीर रेजिमेंट बनाने की आवाज ट्रॉल हो रही है। वही केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर कई बार अहीर रेजीमेंट बनाने की पहल भी हुई है । मगर जिस मुकाम को छूने का लक्ष्य रखा गया था। वह हासिल नहीं हुआ अहीर रेजिमेंट बनाने के पीछे जो आम लोग तर्क देते हैं ।
उनका कहना है कि भारत और चीन के बीच में 1962 में लड़ाई हुई थी ,18 नवंबर 1962 को पूरे देश में दीवाली मनाई जा रही थी उस समय भारत और चीन के बीच घमासान युद्ध चल रहा था ।लद्दाख की दुर्गम बर्फीली चोटियों के बीच दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने थी । रेजांगला चोटी पर तापमान -40 डिग्री था । युद्ध में 123 यादव योद्धा थे। जिन्होंने अपनी वीरता के साथ इस पूरी लड़ाई को लड़ा । दुश्मन सेना के 17 सौ से अधिक सैनिकों को मार गिराया ।3000 से अधिक चीनी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। उस युद्ध में 123 में से 114 सैनिक शहीद हो गए थे। दुश्मन चीन देश ने उन शहीदों का सम्मान करते हुए उन्हें कफन बढ़ाया । लिखा ब्रेबस्ट ऑफ द ब्रेव यानी महान से महान वीर सैनिक , परमवीर चक्र समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।13वीं कुमाऊं के 123 यादव ने जो विजय प्राप्त की थी ।वह आज इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज है। इतना ही नहीं इन वीर सैनिकों की बदौलत चीन को युद्ध विराम की घोषणा भी करनी पड़ी थी।
भारत सरकार ने कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया था। उस बटालियन के 8 जवानों को वीर चक्र 4 को सेना मेडल एक को मेंशन इन डिस्पैच सम्मान दिया गया था । इसके अलावा 13 कुमाऊं के सीओ को सम्मानित किया गया था । आज एक बार फिर अहीर रेजिमेंट अहिर रेजीमेंट बनाने की बात कही जा रही है।