भारत आपदा में रोने वाला देश नहीं है -पीएम नरेंद्र मोदी
भारत आपदा में रोने वाला देश नहीं है -पीएम नरेंद्र मोदी
ब्यूरो रिपोर्ट
देश कोरोनावायरस से लड़ने में पूरी तरह से सक्षम है। हर मोर्चे पर लगातार कोरोनावायरस की रोकथाम को लेकर काम किया जा रहा है । आम जनमानस के सहयोग से जीत हासिल हो सकेगी। प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में आयात निर्यात में भी काफी कुछ सुधार हुआ है । इस संकट की घड़ी को अवसर में बदलने के लिए भी देश आगे बढ़ रहा है । जब पिछले महीने आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात हुई थी तो लोगों को ऐसा लग रहा था कि आत्मनिर्भर भारत आखिर क्या है लेकिन जिस तरह से आत्मनिर्भर भारत को लेकर युवा आगे आ रहे हैं। इससे यकीनन देश में नए नए अवसर खुलेंगे।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है जो कोयले को निर्यात करता है । जबकि यहां खपत इतनी है । इसके बावजूद भी देश लगातार अपने निर्यात की क्षमता को बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश क्यों नहीं हो सकते है ?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कोयले की खदान को लेकर पूर्व में कई तरह के घोटाले की बात सामने आई है । क्या आप उनको घोटालों को भूल चुके हैं ? कोयले के उत्पादन में काफी कुछ अनियमितताएं देखने को मिली थी इन सारी स्थितियों को बदलने में बहुत वक्त लगा और सरकार ने इसके लिए कई कदम उठाए जिन बातों को कोई सोच भी नहीं कर सकता था हमने उसको करके दिखाया है । कोयले के सेक्टर को बहुत मजबूती मिली है । लगातार सरकार कई तरह के सुधार कर रही है।
ऊर्जा कोयला के साथ कई सेक्टर में केंद्र सरकार ने बड़े सुधार किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कोयले के क्षेत्र में 20 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा। सरकार पचास हजार करोड़ रुपए इसके लिए खर्च करेगी। उनका कहना है कि इससे लाखों रोजगार के अवसर खुलेंगे। देश के 16 ऐसे जिले हैं । जहां पर कोयले का उत्पादन होता है। लेकिन वहां के लोगों को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिल पाया। अब सरकार कमर्शियल स्तर पर काम करने जा रही है। ताकि जिन क्षेत्रों में कोयले की जरूरत है। वहां उन्हें कोयला भी मिल सकें और रोजगार के भी अवसर मिल सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि अप्रैल की तुलना में मई में रेलवे में करीब 25 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। इसी तरह से डिजिटल पेमेंट में भी लगातार इजाफा हो रहा है। फिलहाल पिछले साल की तुलना में इस बार 11 फ़ीसदी अधिक गेहूं की खरीदारी हुई है।