21 महीने के इंदिरा गांधी के आपातकाल में 11 लाख विरोधियों को किया था गिरफ्तार

21 महीने के इंदिरा गांधी के आपातकाल में 11 लाख विरोधियों को किया था गिरफ्तार
ब्यूरो रिपोर्ट
भारतीय संविधान में विवादित दिवस के रूप में 25 जून को जाना जाता है । 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकालीन की घोषणा की थी। आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने घोषणा पत्र पर आधी रात को हस्ताक्षर किए। इसी के साथ देश में इमरजेंसी लागू हो गई। इसके बाद जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी के साथ देश के कई कद्दावर नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । 26 जून 1975 को सुबह 6:00 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई गई ।इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो के ऑफिस पहुंचकर देश को संबोधित किया। उन्होंने आपातकालीन घोषणा करने की वजह भी बताई इंदिरा गांधी ने अपने संबोधन संबोधन में कहा कि आपातकालीन के पीछे आंतरिक अशांति हैं । लेकिन उनके खिलाफ गहरी साजिश की गई ।आपातकालीन जैसे कठोर कदम उठाने पड़े यहां तक की कई अखबारों में आपातकालीन को लेकर तरह तरह के कार्टून और आर्टिकल भी छापे । फिलहाल आपातकालीन के दौरान जहां जनता के सभी अधिकार छीन लिए गए । वहीं विपक्षी नेताओं आंदोलनकारियों छात्रों को गिरफ्तार किया गया। प्रेस की आजादी पर भी लगाम लगा दिया गया । कई वरिष्ठ पत्रकारों को भी गिरफ्तार कर लिया गया । अखबारों में छपने वाली खबर को सेंसर किया जाने लगा । सरकार की निगरानी में भी अखबारों की खबरें छापने लगी। 21 महीने तक चले आपातकालीन आपातकाल में पूरे देश में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया
21 मार्च 1977 को इमरजेंसी को समाप्त करने की घोषणा हुई इंदिरा गांधी और कांग्रेस ने आपातकालीन को संविधान के तहत फैसला बताया हैरत की बात यह है कि आपातकाल को 6 महीने के लिए लागू किया जा सकता है । मगर 21 महीने के आपातकाल के दौरान 4 बार आपात काल को पढ़ाने की मंजूरी मिली थी जिस पर तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे वही आपातकाल के विरोध में देश के कई अखबारों के संपादकीय पेज को खाली छोड़ दिया जाता था यह एक विरोध करने का सिंबल माना जाता था आपातकाल के दौरान कई तरह की बंदिशें लगाई गई थी।
किस वजह से इंदिरा गांधी ने देश में लगा था आपातकाल
कहा जाता है कि 12 जून 1975 को राजनारायण की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जगनमोहन सिन्हा ने फैसला सुनाया। कि इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर किया जाता है। साथ ही 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। आपको यह भी बता दें कि जयप्रकाश नारायण की वकील शांति भूषण थे जिन्होंने बड़ी प्रमुखता के साथ कोर्ट में सभी तत्वों को रखा था और जो बाद में देश के कानून मंत्री की बने थे
जयप्रकाश नारायण ने वैसे अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर कुल 6 आरोप लगाए थे इंदिरा गांधी पर उन्होंने अधिकारियों और अपने निजी सचिव यशपाल कपूर को अपना इलेक्शन एजेंट बनाने का आरोप लगाया था। साथ ही रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए इंदिरा गांधी ने धन का दुरुपयोग किया था। चुनाव प्रचार प्रसार में वायुसेना के विमानों का इस्तेमाल किया था । यहां तक की डीएम और एसएसपी की भी मदद ली गई थी। मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब और कंबल बांटने जैसे आरोप लगे थे। चुनाव में निर्धारित सीमा से अधिक धन के खर्च करने का आरोप लगाया था।
23 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पूरे मामले में याचिका दायर की गई। 24 जून 1975 को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति दी। मगर अंतिम फैसला आने तक संसद में वे मतदान नहीं कर सकती थी। फिलहाल चारों तरफ से कानूनी रूप से गिरता देख कर के इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी
दिल्ली के रामलीला मैदान में जेपी ने बड़े रैली का आयोजन किया। जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, आचार्य जेपी कृपलानी, मोरारजी देसाई चंद्रशेखर जैसे तमाम दिग्गजों एक मंच पर उपस्थित हुए । यहीं पर उन्होंने वह रामधारी सिंह दिनकर की मशहूर कविता की एक पंक्ति भी पढ़ी थी
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है । और इसी के बाद स्थिति और भी नाजुक हो गई इंदिरा गांधी ने आपातकालीन की घोषणा कर दी जो 21 महीने तक चला जिसमें इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी पर पुरुष नसबंदी चलाने का आरोप लगा था। जिस पर काफी विवाद हुआ था फिलहाल 25 जून 1975 भारतीय संविधान में विपक्ष काला दिवस के तौर पर मनाता है जिस पर आज सियासत होती है।