दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के जरायम की दुनिया का हुआ अंत

दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के जरायम की दुनिया का हुआ अंत
शोभित गुप्ता
साउथ एशिया 24 * 7
बुलंदशहर
₹500000 का इनामी बदमाश हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे आज पुलिस एनकाउंटर में मारा गया पुलिस ने एनकाउंटर में मारे जाने की पुष्टि की है फिलहाल एसटीएफ की निगरानी में विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था।
विकास दुबे एक ऐसा नाम है जिसके खिलाफ 60 से अधिक मामले दर्ज हैं हत्या लूट डकैती रंगदारी और यहां तक की जान से मारने की धमकी के मामले दर्ज हैं ऐसे दुर्दांत मोस्ट वांटेड ₹500000 की इनामी बदमाश के बारे में सभी जानना चाहते हैं कि आखिर किस तरह से उसने अपने दम पर जरायम की दुनिया में कदम रखा। जिसे पिछले तीन-चार दिन से लोग जानने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक है। 2 जुलाई को गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने के लिए गई यूपी पुलिस पर दुबे द्वारा हमला कर दिया जिसमें 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गए।
विकास दुबे मूल रूप से कानपुर में बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरू गांव के रहने वाले था। गांव में उन्होंने अपना घर किले के जैसा बना रखा था लोगों के बीच विकास दुबे को लेकर इतनी दहशत थी कि वो कुछ भी बोलने से घबराते थे। वजह थी पुलिस और सत्ता तक उसकी पहुंच थी
बताया जाता है कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की पकड़ सभी राजनीतिक दलों में है। साल 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए। गैर कानूनी तरीके से काफी सारी संपत्ति बनाई है। इस दौरान बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में विकास दुबे का खासा दबदबा था।
विकास दुबे ने जेल में रहते हुए शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था।
विकास दुबे के पिता किसान हैं और विकास अपने भाइयों में सबसे बड़ा था विकास दुबे खुद नगर पंचायत चुनाव जीत चुका था जिसके चलते उनकी राजनीति में भी अच्छी पैंठ थी। विकास दुबे को गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर के नाम से जानते थे।
उनके खिलाफ थाने में कितने भी मुकदमा दर्ज थे। खिलाफ कोई गवाही देने को तैयार था। इसके पीछे उनके नाम और गांव में जमाया हुआ दबदबा था जिसके कारण कोई भी उनके खिलाफ बोलने तक को तैयार नहीं था
विकास दुबे की सभी राजनीतिक दलों पर अच्छी पकड़ रही था 2002 में बीएसपी की मायावती सरकार के दौरान उसकी तूती बोलती थी। उसके ऊपर जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त का आरोप था उसने गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रुपये की संपत्तियां बनाई बिठूर में ही उसके स्कूल और कॉलेज हैं। वह एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है। इसी के राजनीति की आड़ में विकास दुबे कुख्यात गैंगस्टर बन गया
विकास दुबे इतना दबंग था कि उसे किसी कानून का डर नहीं था 2001 में विकास दुबे ने थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। संतोष शुक्ला हत्याकांड ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था, लेकिन पुलिस से लेकर कानून तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। क्योंकि उसे समय विकास के खौफ के चलते किसी ने उसके खिलाफ गवाही नहीं दी थी। लेकिन हत्याकांड के बारे में पता सबको था कि संतोष शुक्ला को विकास दुबे ने मारा ।
विकास दुबे को इसके अलावा 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी नामजद किया गया था। इसी साल उसके ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोप लगा था। यह साजिश उसने जेल से बैठकर रची थी। 2004 में एक केबल व्यवसाई दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास का नाम आया था।
2013 में भी विकास दुबे ने हत्या की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। कानपुर में इस मुठभेड़ के बाद विकास दुबे यूपी पुलिस का मोस्ट वॉन्टेड बन गया विकास ने यह खूनी साजिश राहुल नामक एक शख्स की उस एफआईआर के बाद रची, जो गुरुवार को चौबेपुर थाने में दर्ज कराई गई थी। इस संबंध में थाने के दीवान यशवीर सिंह ने बताया कि विकास समेत उसके तीनों भाइयों की हिस्ट्रीशीट है फलहाल विकास दुबे का जरायम की दुनिया आज अंत हो गया।