भगवान शिव बराह ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर का मानोकामना शिव लिंग

भगवान शिव बराह ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर का मानोकामना शिव लिंग
सौरव अनुराग
साउथ एशिया 24 * 7
हजारीबाग झारखंड
सावन महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा का खास महत्व होता है । देश में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग हैं झारखंड के देवघर में स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र बैद्यनाथ शिवलिंग है।देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी-देवताओं का निवास स्थान जहां देवी देवता वास करते हैं । ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं ।
इसलिए यहाँ की शिवलिंग को ‘मानोकामना लिंग’ भी कहा जाता है मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से जो भक्त यहां बाबा के द्वार पहुंचता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कुछ भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए पूजा करने आते हैं। कुछ अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर शिव का माथा टेकने आते हैं।
इस धाम को बाबा बैजनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। देवघर में बाबा भोलेनाथ का अत्यन्त पवित्र और भव्य मन्दिर स्थित है। हर साल सावन के महीने में श्रावणी मेला लगता है । जिसमें लाखों श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते है। भक्त सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा कर बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं। शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. यह सिलसिला पूरे एक महीना चलता है।
देवघर मंदिर के पंचशूल का हैं खास महत्व
मंदिर की एक विशेषता है कि इसके शिखर पर त्रिशूल नहीं, पंचशूल है, जिसे सुरक्षा कवच माना गया है। धर्माचार्यो का इस पंचशूल को लेकर अलग-अलग मत हैं मान्यता है कि पंचशूल के दर्शन मात्र से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाला श्रद्धालु अगर बाबा के दर्शन किसी कारणवश न कर पाए, तो मात्र पंचशूल के दर्शन से ही उसे समस्त पुण्यफलों की प्राप्ति हो जाती है।
मुख्य मंदिर में स्वर्ण कलश के ऊपर लगे पंचशूल सहित मंदिर परिसर के सभी 22 मंदिरों पर लगे पंचशूलों को साल में एक बार शिवरात्रि के दिन पूरे विधि-विधान से नीचे उतारा जाता है। सभी को एक निश्चित स्थान पर रखकर विशेष पूजा की जाती है। स्थापित कर दिया जाता है।
मंदिर प्रांगण में कुल 21 मंदिर हैं. बैजनाथ धाम मंदिर के अलावा आस पास कई दर्शनीय स्थल है। इनमें से नौलखा मंदिर,बासुकीनाथ मंदिर,नंदन पहाड़, त्रिकुटा पर्वत और मयूराक्षी नदी प्रमुख स्थल हैं। जो भी भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते हैं वो इन जगहों पर भी अवश्य जाते हैं।
कोरोना की वजह से मंदिर परिसर में पसरा सन्नाटा
कोरोना वायरस का प्रभाव बाबा धाम मंदिर पर भी पड़ा है। हर साल सावन के महीने में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता था वही सावन के महीने में मंदिर परिसर में सन्नाटा फैला। झारखंड सरकार ने महामारी को देखते हुए इस साल श्रावणी मेले का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है।
भक्तों के लिए ऑनलाइन पूजा का किया गया है इंतजाम
इस साल भक्तों के लिए ऑनलाइन दर्शन की यवस्था की गई है. भक्त फेसबुक और अन्य ऑनलाइन माध्यम के जरिए सुबह और शाम की आरती का लाइव टेलीकास्ट देख सकते हैं। मेले का आयोजन नहीं होने से स्थानीय दुकानदारों,विक्रेताओं और पूजा पाठ कराने वाले पंडित और पुरोहित के सामने आर्थिक दिक्कतें खड़ी हो रही है फिलहाल भक्तों का कहना है कि भोले की कृपा से जल्द कुरोना समाप्त हो जाएगा और एक बार फिर विधि विधान के साथ पूजा पाठ शुरू होगी।
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