गलवान घाटी में शहीद सैनिकों की याद में किया गया वृक्षारोपण

गलवान घाटी में शहीद सैनिकों की याद में किया गया वृक्षारोपण
यूसर्क के निदेशक डॉ दुर्गेश पंत ने अधिक से अधिक वृक्षारोपण की अपील
ब्यूरो रिपोर्ट
गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों की याद में मैथी संस्था और उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा अनुसंधान केंद्र ने कई स्थानों पर पौधरोपण किया। भारत चीन बॉर्डर पर शहीद हुए सैनिकों को इस मौके पर याद भी किया गया और उनकी स्मृति में पौधरोपण भी किया गया मैती संस्था, स्पर्श गंगा कार्यक्रम तथा उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), द्वारा आयोजित गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सैनिको की याद में राज्य के 13 जनपदों में शौर्य वृक्षारोपण तथा स्मार्ट ईको क्लब की वेबसाईट का विमोचन केन्द्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री डा0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी द्वारा बेबीनार के माध्यम से किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी ने सर्वप्रथम गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सैनिको को श्रृद्धाजंली दी और कहा कि उत्तराखण्ड की धरती वीर सपूतों की धरती है यहां चार धाम के अलावा एक पांचवा धाम शौर्य धाम भी है । जहां के वीर सपूतों ने मातृभूमि के लिये अपने प्राणों की आहुुती देकर पूरे विश्व में अपने बलिदान का लोहा मनवाया है। उन्होंने शौर्य वृक्षारोपण कार्यक्रम को पूरे प्रदेश में व्यापक स्तर पर चलाये जाने का आहावान किया। उन्होंने स्मार्ट इको क्लब की वेबसाईट का विमोचन करते हुये कहा कि बच्चों को ग्राम स्तर पर पर्यावरण से जोड़ने के लिये यह कार्यक्रम मील का पत्थर सिद्ध होगा।
भविष्य की पीढी को प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने की प्रेरणा दी तथा कहा कि उत्तराखण्ड प्रदेश का पहला राज्य है जहां सबसे ज्यादा 12000 वन पंचायतें हैं। स्मार्ट इको क्लबों को इन वन पंचायतों के साथ जोड़ कर पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। राज्य के सभी पर्यावरणीयविदों तथा प्राकृतिक प्रेमियों का एक साथ मिलकर राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि यूसर्क राज्य में हिमालय बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण एवं संवर्दन हेतु कार्य करें जो कि भविष्य में पूरे देश में बौद्धिक सम्पदा के संवर्दन हेतु संजीवनी का कार्य करेगा। इस कार्य हेतु मानव विकास मंत्रालय द्वारा भरपूर सहयोग प्रदान किया जायेगा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुये यूसर्क के निदेशक प्रो0 दुर्गेश पंत ने अपने उद्बोधन में यूसर्क द्वारा प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में चलाये जा रहे विज्ञान शिक्षा के कार्यक्रमों के बारे मे जानकारी प्रदान की। उन्होंने स्मार्ट इको क्लब की वेबसाइट में स्मार्ट इंवायरमेंट इंफाॅरमेशन सिस्टम, फ्रूट फाॅर फ्यूचर, पांच पेड़ पीपल, ग्राम गंगा अभियान, मैती कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
स्पर्श गंगा कार्यक्रम की राष्ट्रीय संयाजिका आरूषी ‘निशंक’ ने कहा कि स्पर्श गंगा अभियान के माध्यम से गंगा के तटीय गांवों में स्वच्छता तथा आत्मनिर्भरता का भाव जगाने हेतु कार्य किया जा रहा है। स्मार्ट इको क्लब से जुड़े बच्चों के माध्यम से स्पर्श गंगा अभियान को और अधिक प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया जायेगा। उन्होंने गंगा के स्थायित्व के लिये वृक्षारोपण में ऐसी पेड़ की प्रजातियों को लगाने की अपील की जिससे की गंगा में पानी का स्तर बढ़ सकें। शौर्य वृक्षारोपण को स्पर्श गंगा से जोड़ते हुये उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लगाये गये वृक्षों की सुरक्षा तथा देखभाल करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
मैती आंदोलन के जनक एवं पद्मश्री से सम्मानित कल्याण सिंह रावत द्वारा कहा गया कि इको क्लब के कार्यक्रमों को और वृहद रूप से आयोजित करने पर बल दिया तथा कहा कि उत्तराखण्ड में ग्रामीण महिलाओं के प्राकृतिक ज्ञान का भरपूर उपयोग करते हुये हिमालयी पर्यावरण जागरूकता एवं जनसहभागिता केन्द्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के समन्वयक एवं यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 राजेन्द्र सिंह राणा द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं स्मार्ट इको क्लब प्रभारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रुप से प्रो0 आई0पी0 पाण्डे, डा0 आशुतोष भट्ट, डा0 ओम प्रकाश नौटियाल, डा0 मन्जू सुन्दरियाल, डा0 भवतोष शर्मा, डा0 राजेन्द्र सिंह राणा, डा0 नरोत्तम शर्मा, संस्थापक डी0एन0ए0 लैब, डा0 वेद प्रकाश, संस्थापक माटी संस्था एवं राज्य भर से विभिन्न विद्यालयों के स्मार्ट इको क्लब के प्रभारी नरेन्द्र सिंह रौतेला, जमुना प्रसाद तिवारी, गणेश राणा, महेन्द्र राणा, संध्या नेगी, डी0के0 बेरी, पवन शर्मा, आशा बिष्ट, अजय कुमार शर्मा, रीता पर्शवान, प्रकाश नेगी, डी0एस0 रावत, हेमन्त बिनवाल एवं यूसर्क की तकनीकी टीम उपस्थित थी।