देश आत्मनिर्भरता की दिशा में कैसे उठा सकता है बड़ा कदम

देश आत्मनिर्भरता की दिशा में कैसे उठा सकता है बड़ा कदम
हरि शंकर सोनी
स्वतंत्र पत्रकार ,राजस्थान
जब ऐसी वैश्विक महामारी में भारत आत्मनिर्भरता की नीतियों पर जोर दे रहा है तो उसका मतलब संरक्षणवाद या वैश्वीकरण से लगाना सही नहीं है। भारत के लिए आत्मनिर्भरता का अर्थ नाजुक स्थिति में दूसरों पर निर्भरता कम करने से है।
भारत की नीतियां यह है कि जो उत्पाद भारत में बन सकते हो (भले ही वह उच्च गुणवत्ता या कम कीमत पर नहीं बन पाए जिस पर हम आयात कर लेते हैं) उन्हें भारत में बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
वैसे मोदी सरकार में आत्मनिर्भरता की बात नई नहीं है। मेक इन इंडिया, आरसीईपी में भागीदारी से पीछे हटना जैसे कई कदम सरकार पिछले कुछ वर्षों में लगातार उठा रही है । मेक इन इंडिया का अर्थ भी प्रधानमंत्री ने कई बार स्पष्ट किया है कि इसका अर्थ भारत में उत्पादों के निर्माण से है न कि वैश्वीकरण से दूरी से ।
हाल ही में सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की एक वीडियो वायरल हुई जिसमें वे आत्मनिर्भर भारत की बात कर रही है। उस पर विचार यह थे कि जिस तरीके से इंदिरा गांधी ने आत्मनिर्भर भारत की बात की तो कुछ ही वर्षों में भारत 1991 के आर्थिक संकट में आ गया। जिसके बाद 1991 में वैश्वीकरण से भारत तीव्र गति से आगे बढ़ा है। इसलिए स्पष्ट करना जरूरी है कि वर्तमान में आत्मनिर्भर अभियान वैश्वीकरण से दूरी बनाकर नहीं चलाया जा रहा है।
मुक्त व्यापार समझौतों का विश्लेषण करने पर यह पता चलता है कि अधिकतर समझौतों में भारत को नुकसान हुआ है। आरसीईपी में भागीदारी नहीं करने का यही सबसे बड़ा कारण था । लगातार सस्ते आयात के कारण भारत के सूक्ष्म और मध्यम उद्योग असंगठित ही रह गए हैं उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक समय तक सस्ते आयातों को कम होगा न कि रोकने की आवश्यकता है। 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में “असेंबल इन इंडिया” पर जोर देकर कहा गया था कि भारत चाइना की तर्ज पर रोजगार उत्पन्न करेगा । वर्तमान में भारत दो तरह की नीतियों पर चल रहा है एक तो चाइना का विकल्प तलाश रही कंपनियों को आकर्षित करना, दूसरी ओर भारतीय उद्योगों को संकट से उबारना, जिसे हम आत्मनिर्भर भारत कह सकते हैं।
जिस प्रकार एक बच्चे का भरण पोषण करने के बाद वह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है, यही बात एक राष्ट्र के लिए भी लागू होती है। भारत एक युवा देश है जिसके पास इतनी शक्ति तो है जिससे वह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकता है और बढ़ना भी चाहिए। वैश्वीकरण के दौर में तकनीक के स्थानांतरण या उसे साझा करने की प्रवृत्ति नहीं देखी गई है वही अमेरिका संरक्षणवाद की नीति अपना रहा है। इसलिए आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण से आगे बढ़ना चाहिए।
इस प्रकार भारत का “आत्मनिर्भर भारत” अमेरिका की संरक्षणवादी नीति पर आधारित नहीं है। आत्मनिर्भर भारत को संरक्षणवाद से जोड़कर देखना सही नहीं होगा।
इस लेख में लेखक के अपने निजी विचार है