द्वितीय विश्व युद्ध में लिटिलबॉय कौन था , कैसे लड़ा गया था विश्व युद्ध

द्वितीय विश्व युद्ध में लिटिलबॉय कौन था ,
कैसे लड़ा गया था विश्व युद्ध
नीतीश उपाध्याय
लेखक भागलपुर
वक्त था द्वितीय विश्वयुद्ध का और तारीख थी 6 अगस्त 1945 जापान के लोग जग चुके थे क्योंकि सुबह हो गयी थी, लोग अपने रोजमर्रा के कामों को अंजाम देने में लगे थे , कहाँ किसी को ये पता था कि ये दिन मानव इतिहास में सबसे काला दिन होगा। अचानक आसमान से कुछ जमीन पर गिरा , सूरज या कुछ प्राकृतिक चीजें, …नहीं, ये मानव द्वारा बनाया गया नरसंहार का सबसे खतरनाक अस्त्र परमाणु बम था ।
उस वक्त के अमिरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन एक बेहद गोपनीय अभियान में जापान पर परमाणु बम गिराए जाने को मंज़ूरी दे चुके थे। अंधेरी रात के 2 बजकर 45 मिनट पर अमरीकी वायुसेना के बमवर्षक बी-29 ‘एनोला गे’ ने पश्चिम दिशा की ओर उड़ान भरी जिसका लक्ष्य था जापान
इतिहास में पहली बार परमाणु बम का इस्तेमाल अमेरिकी वायु सेना ने किया। हिरोशिमा पर गिराए गए इस परमाणु बम को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट के संदर्भ में “लिटिल बॉय” का नाम दिया गया था। उस वक्त बन्दरगाह के किनारे बसा हिरोशिमा जापानी सेना का एक प्रमुख अड्डा था । हिरोशिमा में तब साढे तीन साढे तीन लाख लोग रहते थे, परमाणु बम गिरने के बाद इतने जोर का तूफान आया कि जहां बम गिरा उसके डेढ़ मील के आसपास स्थित सारी इमारतें नष्ट हो गई थी बम गिरने के 1 सप्ताह के भीतर नगर के एक तिहाई लोग मारे गए , मारे जाने वाले की संख्या 1 लाख से अधिक थी।
दुनिया के किसी युद्ध में परमाणु बम का प्रयोग पहली बार 6 अगस्त 1945 को हुआ और इसके तीसरे दिन बाद 9 अगस्त को पुनः इस घटना को जापान के एक अन्य शहर नागासाकी पर अमेरिका द्वारा अंजाम दिया गया, और नागासाकी में गिराए गए इस परमाणु बम को पूर्व अमिरिकी राष्ट्रपति विन्सटन चर्चिल के संदर्भ में “फैट मैन” कहा गया और तत्कालीन विध्वंस , करीब 70 हजार मौत के साथ साथ बम गिरने के बाद जो विकरण फैला उसका असर लंबे समय तक रहा और लोगों की जान भी जाती रही।
आज भी उस दिन को सोचकर रोंगटे खड़े हो जाते है कि किस प्रकार हजारों हजार बच्चे अनाथ हो गए थे, जो लोग उस वक्त बच भी गए वो सांस लेने की परेशानी या किसी गंभीर बीमारी से मर गए, जन्म लेने वाले बच्चे विकलांग होने लगे , इस अमानवीय कृत्य ने मानवता को शर्मसार कर दिया । इसलिए आज भी अहिंसा परमो धर्म: पूरी दुनिया के सफल संचालन के लिए प्रसांगिक है , आज भी युद्ध की इच्छा रखने वाले देशों के लिए जापान की त्रासदी एक उदाहरण है, आज भी महात्मा गांधी के विचार दुनिया को सही दिशा में ले चलने के लिए प्रासंगिक है। क्योंकि युद्ध मात्र विनाश की ओर ले जाता है और तब ये विनाश और भयाभव हो जाता है जब यहाँ परमाणु बम जैसी विध्वंसकारी शक्ति युद्ध का प्रतिनिधित्व करती है.।