गुरु बिन ज्ञान कहां ? सार्थक जीवन का मंत्र है गुरु

गुरू : अहसास एक नाम व रूप अनेक ?
By कनिका कटियार
हमारे जीवन में गुरू की भूमिका को सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस संसार में मनुष्य केवल शरीर और आत्मा को लेकर आता है। परंतु उसे सही-ग़लत , अच्छा-बुरे का ज्ञान केवल उसके गुरू ही करवाते हैं । गुरू का हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान होता है। गुरू के स्थान का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता।
गुरू वो है जो हमें मार्ग दर्शन देता है, गुरू वो है जो हमें सिख देता है। गुरू वो है जो हमें सही- गलत के बीच का अंतर सिखाता है। विजय और सफलता पाने के लिये जीवन में शिक्षा को सबसे शक्तिशाली हथियार के रुप में माना जाता है। अपने देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और कार्य को करने के लिये शिक्षकों को दिया जाता है। शिक्षा की ओर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को शिक्षक निभाता है। बच्चों के वर्तमान और भविष्य को बनाता है। अपने पूरे जीवन भर ढेर सारे विद्यार्थियों को निर्देशित और शिक्षित करने के द्वारा अच्छे समाज का निर्माण करने में शिक्षक की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह से माता-पिता की भूमिका को सर्वप्रथम माना जाता है । परंतु केवल ये दो स्थान गुरू की पहचान सिद्ध नहीं कर सकते क्योंकि मेरे ख़याल से गुरू की कोई परिभाषा नहीं है. गुरू केवल माता-पिता या शिक्षक नहीं है। गुरू हर वो व्यक्ति है जो हमें हर पल कुछ न कुछ सिखाता है जो हमें हाम ज़िंदगी में हर दिन कोई न कोई सीख देता हो ।
हमारे समाज में गुरू को दो नाम से पारिभाषित किया जाता है माता-पिता और शिक्षक पंरतु मेरा मानना है कि गुरू शब्द किसी परिभाषा का मोहताज नहीं हैं , हर तथ्य, हर व्यक्ति गुरू की भूमिका निभाते हैं । पंरतु हम उन लोगों को वो स्थान नहीं दे पाते जो स्थान हमने अपने जीवन में गुरू के लिए बनाया हुआ है ।
गुरू हर व्यक्ति है चाहे वे हमारे माता-पिता , शिक्षक, दोस्त, परिवार सदस्य यहाँ तक की बहारी दुनिया का एक एक व्यक्ति क्योंकि ये सारे व्यक्ति हमें कुछ न कुछ सीख देते हैं । वर्तमान समय में शायद हमारा जीवन बहुत उथल-पुथल हो गया है कि हम गहराई में जाकर विचार नहीं कर पाते इन बातों पे , किसी ने बुरा किया तो दुखी हो जाते है ।
परंतु यह महसूस नहीं कर पाते कि उस व्यक्ति ने भी एक तरह से गुरू की ही भूमिका निभाई है हमे कुछ सिखा के उस बुराई को सबक के रूप में महसूस नहीं कर पाते । परंतु मेरा मानना यह है कि उस बुराई को हमें हमेशा सीख के रूप में लेना चाहिए।
गुरू शब्द एक ऐसा शब्द है जो हमें कई सारी बातों के प्रति इसारा कराता है कि एक एक चीज़ जीवन में कुछ न कुछ सिखा रही हैं, हमारे आने वाले समय को बेहतर बनाने के लिए परंतु हम इन बातों पे ध्यान नहीं दे पाते क्योंकि गहराई में सोचने के लिए वक़्त नहीं है। मनुष्य के पास…. मेरा कहना बस कुछ इस तरह है कि जीवन केवल शिक्षक के ज्ञान और परिवार के विचारों को अपनाने से नहीं चलता परंतु हर एक व्यक्ति के रवैये से लेकर, हर वो समय की ठोकर , और हर पल जो जो चीज़ें हम देखते हैं ये सारी चीज़ें हमें कुछ सिखाती हैं । हमें ज्ञान देती हैं और एक राह दिखाती हैं । गुरू की भूमिका हर छोटी बड़ी चीज़ निभाती हैं जो हमारे जीवन में हमें समय के साथ चलना सिखाए , हमें अच्छा इंसान बनाए।
उघारण के तौर पर सोचिए वो लोग या वो बच्चे जिनके माँ बाप नहीं होते या वो स्कूल नहीं जा पाते क्या उनका कोई गुरू नहीं होता……. मेरा मानना यह है कि होता है , समय उनका सबसे महत्वपूर्ण गुरू है जो उन्हें हर पल मज़बूती के साथ चलना सिखाता है । हर वो व्यक्ति उनका गुरू है जो उन्हें सही ग़लत का मतलब बताएँ । हर वो मनुष्य उनका गुरू है जो उनके हालात में उनका साथ निभाए…….. तो फिर केसे इस शब्द का परिचय हम केवल कुछ जन शब्दों से कर सकते है । हमारे ग्रन्थों में भी कहा गया है कि गुरू वो “ जो हमें सही रास्ता दिखाता है, जो उचित-अनुचित क्या है हमें बताता है। इसलिए गुरू को भगवान से भी बढ़कर स्थान दिया जाता हैं “
यगुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः
By कुनिका कटियार
साउथ एशिया 24 * 7 संवाददाता कनिका कटियार ने गुरु की महत्ता और श्रेष्ठता पर समाज के कई तबके के लोगों से बातचीत की ।
गुरु, शिक्षक नाम अनेक काम सिर्फ एक, प्रेरणा देना। गुरु शिक्षा से ज्यादा काम प्रेरणा देने का होता है। माता पिता के बाद सिर्फ एक शिक्षक ही होती है जो हमें हर कदम पे कुछ ना कुछ सिखाती है।गुरु कोई भी हो सकता है, वो एक शिक्षक भी होता है, वो हमारे माता पिता भी होते हैं, वो हमारा मित्र भी हो सकता है। जो भी कुछ सिखा दे वो एक गुरु बन जाता है। By राकेश छात्र
गुरु न केवल हमें आध्यात्मिकता के लिए मार्गदर्शन करता है बल्कि यह हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में भी हमारी मदद करता है कि क्या गलत है और क्या सही है एक सही रास्ते पर जाने के लिए समय लगता है। लेकिन अंधेरे में शॉर्ट कट पर चलने से बेहतर है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि गुरु केवल एक अन्य व्यक्ति हो सकता है। क्योंकि हम अपने स्वयं के व्यक्तिगत गुरु हो सकते हैं क्योंकि हम खुद को मेरे अनुसार किसी से बेहतर जानते हैं।
By शैय्या छात्रा
गुरू हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं हम स्कूल में सब कुछ सिखते है। कई भाषा, विषय जैसे हिंदी, गणित, विज्ञान आदि… परंतु ज़िंदगी जिने का मतलब या कैसा इंसान बनना है ये कही न कही नहीं सिख पाते परंतु गुरू हमें हर चीज़ सिखाता है चाहे किताबी ज्ञान हो या ज़िंदगी के उसूल हो तो गुरू हर तरह से महत्वपूर्ण हैं। जीवन को मार्गदर्शन देने के लिए । गुरू हमारे अंदर के हुनर को भी बाहर लाते है। वे हमें सही मार्ग दर्शन देते हैं ।
सरस्वती मास कॉम छात्रा
गुरु होना आसान नहीं , गुरु जैसा कोई महान नहीं,
गुरु के बिना यह जीवन है अधूरा , गुरु मिल जाए तो हो जाए हर मकसद पूरा, गुरु ने अपना जीवन विद्या को सौंपा है।
गुरु भगवान का दिया एक अमूल्य तोहफा है।
गुरु से ही सीखा है दुनिया का चक्रव्यूह
गुरु की वजह से ही पास किए है सारे इंटरव्यू,
गुरु से ही जीवन का अर्थ है
जीवन में गुरू का मतलब अनेक है.
by रजनीश कटियार अभिभावक