एनडीए में शामिल हुए जीतन राम मांझी, बिना शर्त जेडीयू से किया गठबंधन

एनडीए में शामिल हुए जीतन राम मांझी, बिना शर्त जेडीयू से किया गठबंधन
ब्यूरो रिपोर्ट
बिहार में नवंबर में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है । जिसको लेकर राजनीतिक दलों में सियासी दांवपेच तेज हो गया है। हाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार में जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ चुनाव लड़ने की बात कही थी। जिसके बाद से हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के भी गठबंधन में शामिल होने की कवायद शुरू हो गई थी। दरअसल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव लगातार चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने में जुटे हैं। दूसरी तरफ भाजपा भी चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गई है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एनडीए से जुड़ने का फैसला लिया है. उन्होंने बुधवार को इसका औपचारिक ऐलान कर दिया. जीतन राम मांझी ने कहा कि हमने जनता दल (यूनाइटेड) के साथ गठबंधन किया है और एनडीए का हिस्सा बन गए हैं. जीतन राम मांझी ने इस दौरान लालू प्रसाद यादव पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हम लालू प्रसाद के गलत चक्कर में पड़ गए। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में भाई-भतीजावाद है।
महागठबंधन से अलग होने के बाद जीतन राम मांझी ने कहा कि हम बिना शर्त जेडीयू के साथ गठबंधन कर रहे हैं. अभी सीटों को लेकर कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है. इसे बाद में बैठकर सुलझा लेंगे. बिहार के पूर्व सीएम ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए को जीत दिलाने के लिए पूरा जोर लगाएंगे।
जीतन राम मांझी ने आगे कहा कि जहां से सम्मान मिला है। इसलिए हमने उन्हीं के साथ जाने का फैसला लिया है।हम जेडीयू के नजदीक हैं और उनका पार्टनर बनकर रहने का निर्णय लिया है। बता दें कि आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में लगातार उपेक्षा से नाराज जीतन राम मांझी ने 22 अगस्त को अपनी पार्टी की कार्यसमिति की बैठक करके अलग होने का फैसला कर लिया था।
जीतन राम मांझी ने 27 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी। जिसके बाद उनके एनडीए के सहयोगी के तौर पर चुनाव लड़ने के कयास लगाए जाने लगे थे।जेडीयू के साथ गठबंधन के बाद जीतनराम मांझी की घर वापसी हुई है।क्योंकि वह जेडीयू में ही रहे हैं और फिर अपनी पार्टी बनाकर एनडीए के साथ मिलकर पिछला चुनाव लड़े थे।
2014 लोकसभा चुनाव में बुरी तरीके से हारने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।जिसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था।हालांकि, करीब 9 महीने के बाद वह मांझी को हटाकर खुद सीएम बन गए थे। इसके बाद मांझी ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी।
2015 का विधानसभा चुनाव मांझी ने एनडीए के साथ लड़ा था, लेकिन महज एक सीट ही जीत सके थे. इसके बाद उन्होंने महागठबंधन से हाथ मिला लिया था. 2019 का लोकसभा चुनाव मांझी ने महागठबंधन के साथ मिलकर लड़ा था
। फिलहाल जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सियासत कर रहे हैं । ऐसे में नवंबर के विधानसभा चुनाव में उन्हें कितनी सीटों पर जीत हासिल होती है ।इससे भी कयास लगाए जा रहे हैं इसीलिए कहा जाता है कि राजनीति में कोई सच्चा दोस्त नहीं होता और कोई जानी दुश्मन नहीं होता।