टूटना मत

टूटना मत
By अंकिता गुप्ता
टूटना मत
तुम खुद से रूठना मत
वक़्त नाज़ुक है
पर तुम हारना मत
हां बहुत लम्बा सफर हैं
पर तुम डगर छोड़ना मत
कि मुरझा गए हैं आज जो
वो कल फिर से खिलेंगे
ये आफताब जो हर शाम ढलता हैं
वो भी जुनून से भोर को उगता हैं
कि अपनी खुशियों के लिए कभी भी
किसी और की दुनिया लूटना मत
तुम खामोश भले ही रहना
पर कभी भी गलत बोलना मत
ये राहें बहुत कठिन हैं
पर सफर बीच में छोड़ना मत
खुद की ज़िन्दगी को कभी बिखरने देना मत
किसी बात के लिए ज़िन्दगी ख़तम करना मत
ठहर जाना कुछ वक़्त के लिए
पर कभी भी रुकना मत
हर रोज थोड़ी मौत के करीब जा रही ज़िन्दगी
पर तुम ज़िन्दगी को जीना छोड़ना मत
तुम खुद से कभी रूठना मत
कभी भी टूटना मत