2001 में संसद पर हुए हमले को मैं कभी नहीं भूलूंगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी
2001 में संसद भवन पर हुए आतंकी हमले को मैं कभी नहीं भूलूंगा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ब्यूरो रिपोर्ट
13 दिसंबर 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकी हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि आतंकी हमले को मैं कभी नहीं भूलूंगा। प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा कि जिन्होंने हमले में अपना सर्वोच्च बलिदान किया है मैं उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित करता हूं । लोकतंत्र पर हुए हमले को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके संसद भवन पर हुए हमले को कभी नहीं भूलने की बात कही है ।
आपको बता दें कि 13 दिसंबर 2001 को आतंकी हमला हुआ था । लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन इस हमले में शामिल थे । जिसमें कुल 14 जान गई थी। संसद भवन पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोशित हो गया था। यह हमला राजधानी दिल्ली में नहीं बल्कि लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन पर हुआ था ।
19 साल इस हमले को गुजर गए हैं और प्रधानमंत्री ने जिस तरह से ट्वीट करके उस हमले की निंदा की है उससे एक बार फिर बात साफ हुई है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र पर हुए हमले को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है । लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने हमले की वारदात को अंजाम दिया था । उसका मास्टरमाइंड अफजल गुरु था इस हमले में सुरक्षाकर्मियों ने पराक्रम दिखाते हुए 5 आतंकी मार गिराए थे ।
जबकि 15 दिसंबर 2001 को दिल्ली पुलिस ने आतंकी संगठन के आतंकी अफजल गुरु को जम्मू कश्मीर से गिरफ्तार किया था दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के गिलानी और दो अन्य आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था । 18 दिसंबर 2002 को अफजल गुरु शौकत हसन और गिलानी को मौत की सजा देने का फरमान सुनाया गया था ।फिलहाल इसमें अफसान गुरु को बरी हो गया ।
आपको बता दें 29 अक्टूबर 2003 को गिलानी दिल्ली हाई कोर्ट से बरी हो गया मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और 4 अगस्त 2005 को हसन की सजा-ए-मौत को बदलकर 10 साल सश्रम कारावास दिया गया । अफजल गुरु को सजा-ए-मौत मुकर्रर रही 12 साल के बाद 9 फरवरी 2003 को संसद भवन के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी की सजा दी गई।
कौन था आतंकी अफजल गुरु
अफजल गुरु जैशे मोहम्मद आतंकी संगठन का सक्रिय आतंकी था जो संसद भवन के हमले का मास्टरमाइंड भी था अफजल गुरु जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर का रहने वाला था। एमबीबीएस की पढ़ाई करने के साथ आईएएस की परीक्षा की भी तैयारी कर रहा था। मगर जम्मू कश्मीर के लिबरेशन फ्रंट का सदस्य बन गया और वहीं से उसने आतंकी ट्रेनिंग ली। इसके बाद अफजल गुरु अपने काम को लेकर तारिक नाम के शख्स से मिला जिसने जिहाद के लिए उकसाया और उसे आतंकी बना दिया । तारिक ने भी पाकिस्तान के कई आतंकियों से मिलवाया था । वहीं से अफजल गुरु फिलहाल डाइनिंग हमले की ट्रेनिंग ले ली। जम्मू कश्मीर में अफजल गुरु ने अपने नेटवर्क फैलाया। 3 फरवरी 2013 को प्रणव मुखर्जी ने अफजल गुरु की दया याचिका को ठुकरा दी 9 फरवरी 2013 को फिलहाल उसे शूली पर चढ़ा दिया गया । इसके बाद अफजल गुरु का शव तिहाड़ में ही दफना दिया गया । उस आतंकी को लेकर सियासत के भी कई रंग देखने को मिले थे मगर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर पर हमला करने वाले मास्टरमाइंड को आखिरकार फांसी की सजा दी ही दी गई।