चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा का 94 साल की उम्र में हुआ निधन, कोरोना से थे संक्रमित

चिपको आंदोलन के प्रेणता सुंदरलाल बहुगुणा का 94 साल की उम्र में हुआ निधन ,कोरोना से थे संक्रमित
By दीपक नारंग संपादक
मशहूर पर्यावरणविद, चिपको आंदोलन के प्रेणता सुंदरलाल बहुगुणा का 94 साल की उम्र में निधन हो गया कोरोना से संक्रमित चल रहे थे। एम्स ऋषिकेश में उनका इलाज चल रहा था । 8 मई को एम्स ऋषिकेश में उन्हें भर्ती कराया गया था। आज 12:00 बजे हिमालय के रक्षक, चिपको आंदोलन के प्रेणता सुंदरलाल बहुगुणा ने आखरी सांस ली। एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर के मुताबिक वे डायबिटीज के मरीज थे। उनका ऑक्सीजन लेवल भी 86 के आसपास चल रहा था। कल रात उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई और आज उनका निधन हो गया।
चिपको आंदोलन को विश्व पटल पर ले जाने का है श्रेय
9 फरवरी 1927 को सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म हुआ था बाल्यावस्था से ही उन्होंने कई आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू किया। सुंदरलाल बहुगुणा ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भी आवाज उठाई थी ।शुरुआती दौर में सुंदरलाल बहुगुणा ने शराब के खिलाफ भी बड़ा आंदोलन चलाया था । 1965 से लेकर 1970 तक उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में शराब के खिलाफ एक जन आंदोलन चलाया। धीरे-धीरे उन्होंने हिमालय की रक्षा की बीड़ा उठाया। 26 मार्च 1974 को उन्होंने चिपको आंदोलन को एक नया रूप दिया । 1981_ 83 के बीच उन्होंने 45 दिन तक अनशन किया। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में उन्होंने 47 00 किलोमीटर की पदयात्रा की । चिपको आंदोलन को एक जन आंदोलन देने का संकल्प लिया। चिपको आंदोलन धीरे धीरे देश और प्रदेश के साथ विश्व के पर्यावरणविदों को आकर्षित किया।
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने आंदोलन के दौरान की सुन्दर लाल बहुगुणा से की थी बात
टिहरी डैम के निर्माण के दौरान 1996 में उन्होंने बड़ा आंदोलन चलाया तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने भी आंदोलन समाप्त करने के लिए भी अपील की थी। सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने ट्वीट करके इस बात का दोहराया है कि सुंदरलाल बहुगुणा एक बहुत बड़े पर्यावरणविद के साथ हिमालय की रक्षक थे बहुत सरल स्वभाव के थे ।सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ देश के कई पर्यावरणविद ,राजनेता राजनीतिक विश्लेषक और पर्यावरण प्रेमियों ने शोक व्यक्त किया है। व्यक्तिगत तौर पर सुंदरलाल बहुगुणा बहुत ही सौम्य और सरल स्वभाव के थे। उन्होंने हिमालय में छोटी-छोटी जल विद्युत योजनाओं को चलाने की बात कही थी जिससे हिमालय को सुरक्षित रखा जा सकें।