पिछले साल लॉकडाउन के दौरान देश में ट्रेन की चपेट में आने से 8733 की हुई मौतें

पिछले साल लॉकडाउन के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से 8733 की मौत
ब्यूरो रिपोर्ट
पिछले साल लॉकडाउन के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से पूरे देश में 8733 लोगों की मौत हो गई ।जबकि 885 लोग घायल रहें । एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल 2019और 2020 की तुलना में यह आंकड़ा बहुत कम है पिछले साल लॉक डाउन होने की वजह से देश में ट्रेन का संचालन बहुत कम रहा। पैसेंजर ट्रेन ना के बराबर चली जबकि सरकार स्पेशल ट्रेन का संचालन होता रहा। फिलहाल लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा ट्रेन का संचालन माल ढुलाई के लिए किया गया ।
देश के सभी बड़े रूट पर माल ढुलाई के लिए ट्रेन का संचालन हुआ खासतौर से एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक आवश्यक सेवाओं की सप्लाई के लिए माल ट्रेन का संचालन हुआ। यहां तक कि इससे रेल मंत्रालय को काफी मुनाफा भी हुआ।
मगर कई ऐसे क्रासिंग है जहाँ फाटक नहीं है जहां से आने जाने वाले लोग ट्रेन की चपेट में आ गए। एक आंकड़े के मुताबिक 2018 और 2019 में काफी लोग ट्रेन की चपेट में आने से अपनी जान गवांए। 2018 में 14197 और 2019 15204 लोग ट्रेन की चपेट में आने से चुके थे। जिससे उनकी मौत हो गई।
लॉकडाउन के दौरान जहां पैदल लोग ट्रेन की पटरियों से अपने घर के लिए जा रहे थे जिसकी वजह से वे ट्रेन की चपेट में आ गए । मगर सबसे ज्यादा जो मौत के आंकड़े देखने को मिले हैं। देश की लॉन्ग रूट की जो पटरियां है। वहां पर देखने को मिली है।
जिस तरह से यह मौत का आंकड़ा देखने को मिला है इससे एक बात साफ है कि लॉकडाउन के दौरान भी देश में माल ढुलाई लिए माल गाड़ी का संचालन बड़े पैमाने पर किया गया । दूसरी तरफ लोग ट्रेन की चपेट में आ गए। रेल मंत्रालय हमेशा इस बात की अपील करता है कि मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग में लोगों को पूरी सावधानी के साथ पटरी को क्रॉस करना चाहिए ।