आईआईटी रुड़की अकादमिक ब्लास्ट-रेसिस्टेंट हेलमेट के डिजाइन और विकास के लिए सम्मानित

आईआईटी रुड़की अकादमिक ब्लास्ट-रेसिस्टेंट हेलमेट के डिजाइन और विकास के लिये सम्मानित
ब्यूरो रिपोर्ट
एम ए गणपति, डीजी एनएसजी, ने प्रो. शैलेश गणपुले को एनएसजी काउंटर-आईईडी और काउंटर-टेररिज्म इनोवेटर अवार्ड 2021 से सम्मानित किया
यांत्रिक और औद्योगिक इंजीनियरिंग विभाग [मैकेनिकल एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (एमआईईडी)], भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान [इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी)] रुड़की, के प्रोफेसर शैलेश गणपुले को विस्फोट प्रतिरोधी हेलमेट के डिजाइन और विकास में नवाचार (इनोवेशन इन डिज़ाइन एंड डेवलपमेंट ऑफ़ ब्लास्ट रेसिस्टेंट हेलमेट) में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘एनएसजी काउंटर- आईईडी एंड काउंटर-टेररिज्म इनोवेटर अवार्ड 2021′ से सम्मानित किया गया है।
यह पुरस्कार एनएसजी कैंपस, मानेसर, हरियाणा में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया। हाल ही में असममित (असिमेट्रिक) संघर्षों में विस्फोटों से प्रेरित दर्दनाक मस्तिष्क की चोटों को एक हस्ताक्षर घाव (सिग्नेचर वूंड) के रूप में पहचाना गया है।
सैन्य हेलमेट को पारंपरिक रूप से प्राक्षेपिक (बैलिस्टिक) प्रभाव से सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया जाता है। जिसमें विस्फोट से सुरक्षा के लिए बहुत कम, अथवा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। विस्फोट प्रतिरोधी (ब्लास्ट-रेसिस्टेंट) हेलमेट सैन्य कर्मियों को आईईडी-प्रेरित ब्लास्ट वेव्स से बचाने के लिए पारंपरिक हेलमेट का एक उन्नत संस्करण है जिसमें तकनीकी तत्परता (टेक्नोलॉजी रेडीनेस ) 4 की है।
प्रक्षेपिक आक्रमण से सुरक्षा (बैलिस्टिक प्रोटेक्शन) से समझौता किये बिना हेलमेट के निचले हिस्से में विस्फोट तरंगों (ब्लास्ट वेव ) के प्रभावों, और सिर के आकस्मिक हिंसक घुमाव को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया । कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग और व्यापक प्रयोगों का उपयोग करते हुए, हमने दिखाया है कि एक चेहरा-ढाल (फेस शील्ड) हेलमेट के नीचे केंद्रित लहर के प्रभाव को कम सकती है। सिर और हेलमेट के बीच स्लाइड करने की क्षमता वाली नरम ऊतक के कारण होने वाले सर की घूर्णन गति को कम करने में सहायता कर सकती है । यह प्रौद्योगिकी आईईडी-प्रेरित विस्फोट तरंगों के आने से ठीक पहले सक्रिय शमन (एक्टिव मिटिगेशन) के रूप में काम करती है – प्रो. शैलेश गणपुले, एमआईईडी, आईआईटी रुड़की
प्रो. गणपुले, आईआईटी रुड़की के मैकेनिकल और औद्योगिक इंजीनियरिंग विभाग में संकाय सदस्य हैं, उनका कहना है कि चरम यांत्रिकी प्रयोगशाला (एक्सट्रीम मैकेनिक्स लेबोरेटरी) के समन्वयक हैं। अनुसंधान रूचि के क्षेत्रों में विस्फोट और प्रभाव-प्रेरित सिर की चोट (इम्पैक्ट इंड्यूस्ड हेड इंजरी), चरम लोडिंग वातावरण के तहत सामग्री और संरचनाओं की प्रतिक्रिया (रिस्पांस ऑफ़ मैटेरियल्स एंड स्ट्रक्चर्स अंडर एक्सट्रीम ओवरलोडिंग एन्वाइरन्मेंट्स) और शमन प्रणालियों (मिटिगेशन सिस्टम) के डिजाइन सम्मिलित हैं। उनके प्रयोगशाला कार्य डीएसटी, डीआरडीओ और इसरो द्वारा समर्थित है। प्रो. गणपुले को अर्ली करियर अवार्ड (डीएसटी), युवा अन्वेषक पुरस्कार (इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, रुड़की चैप्टर), और ट्रैवल अवार्ड्स (वर्ल्ड काउंसिल ऑफ बायोमैकेनिक्स एंड नेशनल न्यूरोट्रामा सोसाइटी) जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । वह सोसाइटी फॉर शॉक वेव रिसर्च और इंडियन सोसाइटी फॉर एप्लाइड मैकेनिक्स के आजीवन सदस्य हैं।
“प्रो. शैलेश गणपुले का आविष्कार भारत की सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुझे प्रसन्नता है कि आईआईटी रुड़की देश की जरूरतों को पूरा करने वाली अनुसंधान समस्याओं को उठा रहा है। – प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की ने कहा।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) द्वारा ‘एनएसजी काउंटर-आईईडी एंड काउंटर-टेररिज्म इनोवेटर अवार्ड’ की स्थापना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आईईडी-विरोधी (काउंटर-आईईडी) और आतंकवाद-विरोधी (काउंटर- टेररिज्म) क्षेत्रों में नवाचार के लिए उत्कृष्ट योगदान देने वाले योग्य इनोवेटर्स के लिए की गयी है।
आईआईटी रुड़की के बारे में (https://www.iitr.ac.in/)
आईआईटी रुड़की इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रबंधन, वास्तुकला एवं योजना, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाला एक राष्ट्रीय संस्थान है। वर्ष 1847 में अपनी स्थापना के बाद से संस्थान ने तकनीकी मानव संसाधन और समृद्ध राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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