सत्वगुण की वृद्धि से ईश्वर सान्निध्य सुलभ हो जाता है -मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी

सत्वगुण की वृद्धि से ईश्वर सान्निध्य सुलभ हो जाता है -मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी
ब्यूरो रिपोर्ट
श्रीमद्भागवती वार्ता कथा हमें तमोगुण से सत्वगुण की ओर ले जाती है । जैसे शुद्ध दर्पण में हम अपने सुन्दर स्वरूप को देखते हैं उसी प्रकार शुद्ध अन्तःकरण में ईश्वर के स्वरूप का दिव्य दर्शन करना सम्भव हो पाता है ।
प्राचीन काल में ऋषियों ने जिस शाश्वत मार्ग का अनुशरण किया था वो सुपरिक्षीत मार्ग है । इधर – उधर के मार्ग में भटकने की आवश्यक नही है हम सनातनियों को । ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का मार्ग ही उत्तम मार्ग है ।
उक्त बातें ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य जी महाराज के शिष्य प्रतिनिधि स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के प्रथम नैष्ठिक शिष्य मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी ने कही।प्रमुख रूप से उपस्थित रहे स्वामी अभयानंद तीर्थ जगदीश उनियाल , महिमानन्द आदि मौजुुद रहे।
मंगलाचरण अमित तिवारी ने किया , धन्यवाद ज्ञापन अरुण ओझा ने किया और कार्यक्रम का संचालन विष्णुप्रियानन्द जी ने की।श्रीमद्भागवत जी की आरती के साथ सत्संग का विश्राम हुआ।