एलोपैथिक फार्मासिस्ट को दवा लिखने व मरीजों के इलाज करने के अधिकार देने की मांग हुई तेज

एलोपैथिक फार्मासिस्ट को दवा लिखने व मरीजों के इलाज करने के अधिकार देने की मांग हुई तेज
ब्यूरो रिपोर्ट साउथ एशिया 24 * 7
प्रदेश में एलोपैथिक फार्मासिस्ट को लक्षण के आधार पर दवा लिखने और मरीजों का इलाज करने की अनुमति देने की मांग तेज हो गई है।
फार्मासिस्ट की योग्यता को देखते हुए एलोपैथिक फार्मासिस्ट इस बात की मांग कर रहे है कि पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टर्स की कमी है ऐसे में सरकार को शिथिलता देते हुए लक्षण के आधार पर मरीजों के इलाज करने और दवा लिखने की अनुमति देनी चाहिए
फार्मासिस्ट को सीएचसी पीएचसी, वैलनेस सेंटर मैं नियुक्ति दी जानी चाहिए ।फार्मासिस्ट की मांगों का समर्थन करते हुए ललित बिष्ट का कहना है कि फार्मासिस्ट दवाई बांटना, इंजेक्शन ,मरहम पट्टी, प्लास्टर ,पोस्टमार्टम ,इमरजेंसी ड्यूटी के साथ जन्म मृत्यु का लेखा जोखा डॉक्टर की अनुपस्थिति में फर्स्ट एड देने का काम करते हैं ।
यहां तक की टांके काटने का भी काम करते हैं ।ऐसे में फार्मासिस्ट को दवा लिखने व लक्षण के आधार पर मरीज का इलाज करने के अधिकार मिलने चाहिए।
ललित बिष्ट का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टर की काफी समय से कमी चल रही है ऐसे में फार्मासिस्ट को अगर सरकार दवाओं के लिखने और मरीजों के इलाज करने का अधिकार देती है तो यह क्रांतिकारी फैसला होगा ।
इससे मरीजों को बेहतर लाभ मिलेगा ।उनका कहना एक पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी ने 539 उप केंद्रों पर फार्मासिस्ट की नियुक्ति की थी ।और पर्वतीय क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाया था।
उनका कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में खाली चल रहे पदों पर सरकार को तत्काल आवेदन प्रक्रिया को शुरू करनी चाहिए जिससेे खाली पदों पर जल्द से जल्द भर्ती हो सके और उप केंद्रों पर भी ट्रीटमेंट का इंतजाम हो सके
उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थिति का राज्य है यहां पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टर अपनी सेवाएं देने से हिचकते हैं ऐसे में सरकार को पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टर की सेवा लेने के लिए कई तरह के अलाउंस भी देने पड़ते हैं ।ऐसे में अगर सरकार फार्मासिस्ट को दवाओं के लिखने और मरीजों के इलाज करने का अधिकार देती है तो इससे उत्तराखंड की जनता को काफी लाभ मिल सकेगा।