महिलाओं ने तीज के उत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया तीज के गीत को गुनगुनाया

महिलाओं ने तीज के उत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया तीज के गीत को गुनगुनाया
ब्यूरो रिपोर्ट
राजधानी देहरादून से डोईवाला इलाके में तीज के त्यौहार पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
तीज महोत्सव के मौके पर तीज कंपटीशन का आयोजन किया गया अलग-अलग क्षेत्रों से आई महिलाओं ने सावन के महीने में होने वाले तीज की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया ।
गीत संगीत के साथ हर्ष उल्लास से तीज के त्यौहार को मनाया गया सरिता का कहना है कि खुशियों का त्योहार है सावन के महीने में तीज को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है
उनका कहना है कि तीज मनाने की परंपरा काफी पुरानी है । प्राचीन काल में ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ों पर झूले डाले जाते थे आसपास की महिलाएं झूला झूलने के लिए आती थी और तीज के गीत को गाती थी । आपसी सौहार्द ,एकता और परंपरा का प्रतीक था । जिसको बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था बदलते वक्त के साथ तीज के परंपराओं में कुछ बदलाव जरूर आया है मगर तीज के त्यौहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
महिलाओं का कहना है कि इंसान के जीवन में उसके त्यौहार उसके आभूषण की तरह से होते हैं और यही वजह है कि तीज को आज भी बहुत ही गर्मजोशी के साथ मनाया जा रहा है कार्यक्रम के आयोजन में पूनम तोमर, संतोष नेगी, मनीषा , माया अधिकारी ,रीमा और आशा सेमवाल ने मुख्य भूमिका निभाई ।
आशा का कहना है कि सावन के महीने में होने वाले तीज उत्सव को उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है उनका कहना है कि प्राचीन काल में जब खेतों में फसलें लग जाती थी तो घर की महिलाएं अपने कामकाज को निपटाने के बाद अपने त्यौहार को मनाने में खुश रहती थी ।
पेड़ों पडे झूले सावन के गीत की धुन चार और सुनाई पड़ती थी। ग्रामीण अंचलों में तीज के त्यौहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता रहा है।
तीज खुशियों का त्योहार है इसमें महिलाएं सज धज कर तीज के गीत की धुन पर नृत्य भी करती हैंं। पड़ों पर पड़े झूलों को झूलती हैं या हमारे जीवन का जीता जागता त्यौहार है जिसमें महिलाएं खुशियों से झूमती हैं और घर परिवार देश समाज सबके लिए दुआएं करती हैं।