29 सालों से समाज सेवा कर रही रजनी रावत ने सहसपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का किया ऐलान

29 सालों से समाज सेवा कर रही रजनी रावत ने सहसपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का किया ऐलान
ब्यूरो रिपोर्ट
2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई है निर्दलीय प्रत्याशी मैडम रजनी रावत एक बार फिर सहसपुर विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतरने जा रही है।उन्होंने अपना घोषणापत्र को जारी किया है । प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने का इंतजाम किया जाएगा ।साथ ही जरूरतमंद, निर्धन बच्चों को निशुल्क और उचित शिक्षा व्यवस्था भी प्रदान की जाएगी।
स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं ,युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में भी कदम उठाया जाएगा।जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास और अस्थाई निवास प्रमाण पत्र बनवाने में सरकारी तंत्र को और सशक्त किया जाएगाजिसमें आ रही समस्याओं को दूर किया जा सके। मलिन बस्तियों में लंबे समय से रहने वाले लोगों को भूमि एवं भवन का मालिकाना हक दिलाने का भी काम किया जाएगा।आपको बता दें कि प्रदेश में 582 ऐसी मलिन बस्तियां हैं जिनको मालिकाना हक देने को लेकर सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच काफी समय से जुबानी जंग चल रही है।
विधानसभा में युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर इंतजाम किया जाएगा। जिससे उनकी प्रतिभा में निखार आ सके। नागरिकों द्वारा खुले में छोड़ दिए गए गोवंश के लिए गौशाला का निर्माण कराया जाएगा।निर्धन कन्याओं के विवाह के लिए सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन होगा ।
मलिन बस्तियों में जलभराव की समस्याओं को दूर करने के लिए ड्रेनेज का निर्माण कराया जाएगा । वृद्धा ,दिव्यांग, विधवा, किसान ,तीलू रौतेली जैसी पेंशन के लिए सरकारी योजनाओं को और प्रभावी बनाया जाएगा।
उनका कहना है कि पिछले 29 साल से लगातार देहरादून की जनता की सेवा कर रही है । इस दिशा में उनका संकल्प यही है कि इसी तरह से वे आगे भी काम करती रहेंगी। जनता की सेवा में एकमात्र लक्ष्य मानकर सामाजिक कार्यों में उन्होंने अपने आप को समर्पित कर रखा है। विश्वास और विकास की राजनीति के पथ पर आगे चल रही है। उनका कहना है उत्तराखंड 13 जिलों का एक राज्य है जिसकी स्थापना से अभी तक मूलभूत सुविधाओं का विकास नहीं हो पाया है रोजगार के अभाव में शिक्षित युवा पलायन कर रहा है । मगर सरकार उन्हें अपना वोट बैंक समझती है।
सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है उनका कहना है कि उन्होंने कारगिल के शहीदों के परिजनों को ₹11 लाख दिए और उनके परिजनों को सम्मानित किया।। कोरोना की महामारी के दौरान मुख्यमंत्री के राहत कोष में 11 लाख दोबारा 21 लाख रुपए की मदद की । आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उन्होंने राहत सामग्री भी वितरित की।