सेफगार्डिंग इको सिस्टम फॉर ह्यूमन वेलफेयर’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

सेफगार्डिंग इको सिस्टम फॉर ह्यूमन वेलफेयर’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
By सुशील कुमार झा
चमन लाल महाविद्यालय में पर्यावरण के बारे में एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें पर्यावरण के संतुलन संवर्धन के बारे में चर्चा की गई प्रदेश और देश के अलग-अलग राज्यों से आए विवरण विद मे इस सम्मेलन में हिस्सा लिया।
उत्तराखंड के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ कपिल कुमार जोशी ने कहा कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है। विकास की अंधी दौड़ में हम पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। यहां तक कि बड़े शहरों में कचरे के बड़े बड़े पहाड़ हमने बना दिए हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है कि हम इसके प्रति जागरूकता फैलाएं और जंगलों को मौद्रिक लाभ और रोजगार से जोड़ें।
चमन लाल महाविद्यालय के जंतु विज्ञान और अंग्रेजी विभाग ने ‘बायोडायवर्सिटी एंड एनवायरमेंटल गवर्नेंस इन इंडिया : सेफगार्डिंग इको सिस्टम फॉर ह्यूमन वेलफेयर’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की।
डॉ जोशी ने कहा कि चीड़ के जंगलों अधिकांशतः पत्तियों ने आग लगने की घटना होती है। इन पत्तियों से छोटी-छोटी ब्रिक्स बनाने का प्रयोग शुरू किया गया ।जिसमें स्थानीय नागरिकों की सहायता ली गई।
स्थानीय नागरिकों को मौद्रिक लाभ भी हुआ खासतौर पर महिलाओं ने इसमें उत्साह पूर्वक सहभागिता निभाई। उन्होंने इस प्रकार के प्रयोगों को पर्यावरण के अन्य क्षेत्रों में भी अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से आए डॉ वी एम सतीश ने कहा कि जैव विविधता पर आया संकट मनुष्य प्रजाति को भी खतरे में डालेगा। इससे बचने के लिए जरूरी है कि हम जैव विविधता को बचाए रखें। अपने पर्यावरण को संरक्षित करें। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ विनय कुमार सेठी ने कहा कि पर्यावरण के अनियंत्रित दोहन से अनेकों जीवों के सामने अस्तित्व बचाने का संकट पैदा हो गया है यहां तक कि कुछ जीव तो विलुप्त भी हो चुके हैं।
महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष राम कुमार शर्मा ने बिगड़ते पर्यावरण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और जैव विविधता को बचाने में हम तभी सफल हो पाएंगे जब इसमें आम जनता की सहभागिता ली जाएगी। प्राचार्य डॉ सुशील उपाध्याय ने कहा कि आज विकास को नए रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है क्योंकि विकास के नाम पर हम पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा चुके हैं। उद्योगों से निकले अपशिष्ट ने हमारी नदियों को गंदे नाले में बदल दिया है।
संगोष्ठी के संयोजक डॉ विधि त्यागी ने बताया कि संगोष्ठी में विषय से संबंधित शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी की आयोजन सचिव अंग्रेजी विभाग की डॉ अपर्णा शर्मा रही। मंच संचालन डॉ नवीन त्यागी ने किया। डॉ श्वेता,डॉ धर्मेंद्र, डॉ संजीव कुमार, डॉ निशु कुमार, डॉ किरण शर्मा, डॉ दीपा अग्रवाल, डॉ मीरा चौरसिया, डॉ दीपिका सैनी आदि का विशेष सहयोग रहा।