आयुर्वेद के मर्मज्ञ प्रख्यात चिकित्सक डॉक्टर किशोर राम अतार का निधन

आयुर्वेद के मर्मज्ञ प्रख्यात चिकित्सक
डॉक्टर किशोर राम अतार का निधन
अकील अहमद गाज़ीपुर
बहादुरगंज (गाज़ीपुर) बहादुरगंज नगर के लब्ध प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉक्टर किशोर रामअतार उर्फ मालवीय का मंगलवार को 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से आवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लग गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।
उनके पैतृक आवास पर लोग काफी संख्या में इष्ट मित्र, सगे संबंधी पहुंचकर अपनी गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। वे आयुर्वेद के मर्मज्ञ थे ,और उपचार कराने वालों के बीच वे मालवीय के रूप में लब्ध प्रतिष्ठित थे। वे स्वभाव से अत्यंत सहज सरल और मृदुल भाषी व्यक्तित्व के धनी थे।
डॉक्टर सभी के सुख दुख की जानकारी लेते रहते थे । मंगलवार के दिन उनका निधन होने से नगर के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई, एक कुशल चिकित्सक के रूप में उनका कार्यकाल काफी दिनों तक याद किया जाएगा।
उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने वालों में डॉ अशोक राय, डॉक्टर जय प्रकाश राय, डॉ श्रीकांत गुप्ता, श्याम बिहारी वर्मा, गिरीश चंद निरंजन, दीपक लाल श्रीवास्तव, जय प्रकाश राजभर, दिनेश राय ,जयप्रकाश गुप्ता, अशोक तिवारी, हरिशंकर राय ,पत्रकार गण अजय सेठ, पप्पू राय, संतोष गुप्ता, राजू खान ,जफर अहमद ,उमेश जायसवाल, तौहीद अब्बासी , फैजान खान,राजेश कुशवाहा ,राजेश वर्मा, रामायण प्रसाद, लाल बिहारी ,संदीप चौरसिया, पप्पू जायसवाल, मुरली चौरसिया, रिजवान अहमद ,गोलू जायसवाल ,समीम खान, राजेंद्र जयसवाल ,पूर्व ग्राम प्रधान वसीम अब्बासी आदि सैकड़ों लोगों ने पहुंचकर संवेदना व्यक्त करते हुए मां चंडी स्थान तक उन की शव यात्रा में शामिल हुए। उसके पश्चात उनकी शव यात्रा गाजीपुर गंगा घाट के लिए रवाना हुई। जहां पर उनके सुपुत्र धनंजय कुमार ने मुखाग्नि दिया।
भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र नाथ सिंह तथा विजय जायसवाल एवं नगर पंचायत के के पूर्व चेयरमैन रियाज अहमद अंसारी तथा मोहम्मद असलम खान ने उनके आवास पर पहुंच करके अपनी शोक संवेदना व्यक्त किया।
डॉक्टर किशोर राम अतार उर्फ मालवीय को पुराने रोगों के मर्मज्ञ थे, नब्ज देख कर के ही उन्हें रोगों का इल्म हो जाता था। जिसका वे विधिवत ढंग से इलाज करते थे। जिससे रोगी को पर्याप्त फायदा मिलता था। आयुर्वेद के कुशल मर्मज्ञ थे, जिन्हें जड़ी बूटियों की भी जानकारी थी।
पुराने रोगों की अच्छी खासी जानकारी होने के नाते वह उसका बेहतर ढंग से इलाज करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते थे।अपने जीवन काल में लोगों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझते थे। सेवा भाव उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था।
इतना सब कुछ होने के बावजूद भी वह अपना जीवन अत्यंत सादगी पूर्ण व्यतीत कर रहे थे। सदाचरण और सेवा भाव उनके जीवन की विशेष उपलब्धि रही। अपने जीवन काल में उन्होंने न तो किसी को नाराज किया और ना ही किसी को अपने चिकित्सा पद्धति से निराश किया। अपने ज्ञानार्जन के आधार पर सभी को संयमित जीवन जीने की शिक्षा देते थे, एवं रोगों का उपचार अपनी विशेषज्ञता के आधार पर करते थे। यह उनके जीवन का विशेष उपलब्धि और सदाचरण था। जिसका नगरवासी आज भी लोहा मानते हैं। उनके निधन पर मोहल्ले की अधिकांश दुकानें शोक में बंद रही।