माफी के साथ कृषि कानून वापस किसानों का आंदोलन जारी

माफी के साथ कृषि कानून वापस, किसानों का आंदोलन जारी
ब्यूरो रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर देश को संबोधित करते हुए माफी के साथ कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि कानूनों को सरकार वापस लेती है अगले संसद के सत्र में संवैधानिक तौर पर कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि सरकार किसानों को कानून के बारे में नाकाम रही है उनका कहना था कि सरकार ने किसानों की बेहतरी और सशक्तिकरण के लिए कानून बनाया था मगर अब सरकार कानूनों को वापस लेती है ।
प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान नेता राकेश टिकैत, नरेश टिकैत योगेंद्र यादव के साथ अलग-अलग किसानों के संगठनों ने कृषि कानून वापस होने का स्वागत व किया मगर उनका कहना है कि जब तक संसद में कानून को निरस्त नहीं कराया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा
कब कृषि कानूनों को संसद में पेश किया गया था
आपको बता दें कि 17 सितंबर 2020 को केंद्र सरकार ने संसद में कृषि कानून को पेश किया था 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने कानून पर दस्तखत किए थे। इसके बाद से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया तकरीबन 700 किसानों की निधन भी हो गया आजा 19 नवंबर 2021को केंद्र सरकार ने कृषि कानून को वापस लेने का फैसला कर लिया ।
कृषि कानून के बारे में राजनीतिक समीक्षक क्या मानते हैं
राजनीतिक समीक्षक भी मानते हैं उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर ,गोवा पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब जैसे राज्यों में किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ता खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में किसानों की नाराजगी से भाजपा को काफी नुकसान पहुंच सकता था।
इस वजह से केंद्र सरकार बैकफुट पर आई है और किसी कानून को वापस करने का फैसला किया है उत्तर प्रदेश, पंजाब हरियाणा ,उत्तराखंड जैसे राज्यों में किसानों राजनीति में सीधी दखल है क्योंकि जब भी चुनाव आते हैं किसान एकजुटता के साथ नजर आते हैं जिस तरह से लंबा आंदोलन चला । किसानों का निधन हुआ किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ ऐसे में अब कृषि कानून वापस हो चुका है मगर किसानों का आंदोलन जारी है।