2 साल पहले अपने गांव आए थे जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के कोने-कोने से वाकिफ थे

2 साल पहले अपने गांव आए थे जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के कोने-कोने से वाकिफ रहे
ब्यूरो रिपोर्ट
चीफ आफ डिफेंस आर्मी स्टाफ बिपिन रावत हेलीकॉप्टर से तमिलनाडु के कुन्नूर से लौट रहे थे हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है ।
आपको बता दें कि जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी जिले के सैण बमरोली ग्राम सभा में पैतृक गांव हैं 2018 में यह अपने गांव आए थे कुल देवी देवताओं की पूजा के कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की थी। उनके चाचा भरत सिंह ने उन्हें खेत खलिहान और पैतृक गांव भी दिखाया था।
उस समय गांव के युवाओं महिलाओं न उनके साथ फोटो खींचाई थी बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका से महिलाओं ने काफी देर तक बातचीत भी की थी और बमरौली में सड़क बनवाने के साथ स्कूल भी खुलवाने की मांग की थी।
जब लैंसडाउन के लिए जनरल बिपिन रावत रवाना हो रहे थे तो जगह-जगह लोगों ने उनका स्वागत भी किया था और दोबारा आने का वादा भी किया था कि वह लौटकर अपने गांव आएंगे।
जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड राज्य के हैं वहीं उनका विशेष लगाव रहा है जब भी उन्हें मौका मिला उत्तरकाशी देहरादून और आसपास के जिलों में कई कार्यक्रमों को अटेंड भी किया था ।3 साल पहले जनरल रावत भारतीय सैन्य अकादमी के पासिंग आउट परेड में भी आए थे । लोगों ने उनसे मुलाकात की थी।
बहुत ही मिलनसार और एक सेना के निपुण जनरल के तौर पर थे हेलीकॉप्टर की दुर्घटना को सुनते ही उनके गांव के साथ उत्तराखंड में शोक की लहर है जिस तरह से जनरल रावत लोगों के साथ मिलते थे ।
भारतीय सैन्य अकादमी के कार्यक्रम में बिपिन रावत मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की थी । उस दौरान मीडिया उन्हें उनसे जहां भारतीय सेना के कौशल ट्रेनिंग को लेकर सवाल पूछा था । वही उत्तराखंड में के सीमांत इलाकों में सेना की मौजूदगी युवाओं को सेना से जुड़ने की प्रेरणा जैसे मसले पर उन्होंने बेबाक तरीके से अपनी बात रखी थी।
उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या रही है पलायन के मसले पर अक्सर उन्हें बोलते सभी मंचों से देखा और सुना गया। उनका कहना था कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थिति का राज्य है यहां के सीमांत इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है ।ताकि लोग सीमांत इलाकों में बॉर्डर की सुरक्षा को भी पुख्ता बंदोबस्त करने में अपना सहयोग कर सके।
इस तरह से जनरल बिपिन रावत हमेशा हर मंच पर इस बात को दोहराते रहे हैं।देश का कोई ऐसा कोना नहीं जिसे बिपिन रावत ने छुआ नहीं हर जगह वह जाते थे और काम करते थे।