बैंकों के निजीकरण के खिलाफ उतरे बैंक कर्मी,बुलन्द की आवाज़

बैंकों के निजीकरण के खिलाफ उतरे बैंक कर्मी,बुलन्द की आवाज़
ब्यूरो रिपोर्ट
देहरादून के बैंककर्मियों ने सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी हाथों में देने की मुहिम के खिलाफ कहा कि 1969 में निजी क्षेत्र के बैंकों का राष्ट्रीयकरण करते समय शाखाओं की संख्या 8000 थी, जो आज 1,18,000 है।
वहीं इन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास 1969 में 5000 करोड़ रुपए की जमा राशि थी, जो आज 157 लाख करोड़ रूपए हो चुकी है। इसी प्रकार 1969 में बैंकों द्वारा दिये गए ऋण की राशि 3500 करोड़ रुपए थी जो आज 110 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आमजन के हित में देश के कोने-कोने में बैंक सुविधाओं का विस्तार किया है, जो सस्ते मूल्य और आसान शर्तों पर दी गई हैं। यही नहीं सरकारी हस्तक्षेप से इन बैंकों की गाढ़ी कमाई से पिछले 7-8 वर्षों से हर साल कॉर्पोरेट पूँजीपतियों का एक से डेढ़ लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ किया जाता रहा है।
इसके बावजूद बैंकों का ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट जो 2009-10 में 76000 हज़ार करोड़ रुपए था, 2020-21 में वो 197000 लाख करोड़ रुपए हो गया है। ऐसे में इन बैंकों का निजीकरन करना बड़े पूँजीपतियों को औने-पौने दामों में जमे-जमाये बैंकिंग क्षेत्र को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
पिछले बारह वर्षों में सरकारी बैंकों का परिचालन लाभ कुल मिलाकर 16.55 लाख करोड़ रहा है। साथ ही प्राइवेट बैंक एक के बाद एक घाटे में जाकर बंद होते रहे हैं। लगभग 25 प्राइवेट बैंकों को बंद कर सरकारी बैंकों में मर्ज कर दिया गया। कॉर्पोरेट सैक्टर द्वारा भी बैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया गया है।
अभी भी डूबंत ऋणों की लागत लगभग 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। जिन्हें औने-पौने दामों पर सैटल करवा दिया जाता है। जो आमजन के लिए बैंकिंग सुविधाओं को बहुत अधिक महंगा साबित करने वाला सिद्ध होगा। इससे रोजगार के साधनों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा ।
बैंक-कर्मियों की सेवा-शर्तें भी प्रभावित होंगी। ऐसी जन विरोधी नीति का सभी बैंक-कर्मी हर संभव आंदोलन के द्वारा विरोध करते हैं और इस क्रम में 16-17 दिसम्बर 2021 को देश भर के सभी बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे।
आर के गैरोला, राजन पुंडीर, अनिल जैन, कमल तोमर, टी पी शर्मा, निशांत शर्मा, मोहित वर्मा, एस एस रजवार, विनय शर्मा, वी के जोशी, सी के जोशी, करन रावत, कुन्दन रावत, आई एस परमार, डी एस तोमर, विकास संगारी, आर सी उनियाल, ओ पी मौर्य, सुधीर रावत, नवीन नेगी संचालक यू एफ बी यू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने भाग लिया।