बसपा ने फिर खेला जातीय कार्ड ,अंबेडकरनगर की कटेहरी से प्रतीक पाण्डेय व टांडा से मनोज वर्मा को बनाया प्रत्याशी

बसपा ने फिर खेला जातीय कार्ड ,अंबेडकरनगर की कटेहरी से प्रतीक पाण्डेय व टांडा से मनोज वर्मा को बनाया प्रत्याशी
डॉ प्रियंका पांडेय अकबरपुर अम्बेडकर नगर
2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर बसपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं अंबेडकर नगर की दो विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों के नामों का बसपा ने ऐलान किया है कटेहरी विधानसभा के साथ प्रतीक पांडे और टांडा विधानसभा सीट से मनोज वर्मा को बसपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है अंबेडकर नगर जिला बसपा का गढ़ माना जाता रहा है अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से राम अचल राजभर लंबे समय से चुनाव जीते रहे हैं मगर इस बार समीकरण काफी बदला है राम अचल राजभर राम लाल जी वर्मा ने अब सपा का दामन थाम लिया है ऐसे में एक बार फिर चुनावी संग्राम के बीच बसवा अपनी रणनीति को बदलकर चुनावी मैदान में उतर रही है जैसे बसपा से निष्कासित लालजी वर्मा राम अचल राजभर को घेरा जा सके ऐसे में पवन पांडे के बेटे को बसपा ने कचहरी से अपना प्रत्याशी घोषित किया है जबकि मनोज वर्मा को टांडा से अपना प्रत्याशी बनाया है
सूत्रों के हवाले से बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अध्यक्ष मायावती ने अम्बेडकर नगर के कटेहरी विधानसभा से शिवसेना के निवर्तमान बाहुबली विधायक पवन पांडेय के बेटे प्रतीक पाण्डेय को प्रत्याशी जहां घोषित किया वहीं निवर्तमान विधायक लालजी वर्मा को शिकस्त देने के लिए मनोज वर्मा को टांडा विधानसभा से प्रत्याशी घोषित कर जातीय समीकरण पर अपना दांव खेला है।
घोषित प्रत्याशी प्रतीक पाण्डेय व मनोज वर्मा ने बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के प्रति आभार जताते करते हुए पार्टी के मूलमंत्र व नीतियों को जन जन तक पहुंचाने की बात कही है
बीजेपी की लहर में भी अम्बेडकर नगर से बसपा के पूर्व सांसद व उद्योगपति राकेश पाण्डेय ने जलालपुर विधान सभा से चुनाव जीता अपने बेटे रितेश पाण्डेय को अकबरपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और 2019 के संसदीय चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी
फिलहाल आपको बता दें कि उस समय बसपा और सपा का गठबंधन था। ऐसे में बसपा उत्तर प्रदेश के संसदीय चुनाव में 10 सीटें हासिल की थी जबकि सपा केवल 5 सीटों पर ही विजय हासिल कर पाई थी।
मगर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 325 सपा को 47, बसपा को 19 कांग्रेस पार्टी को महज 7 सीट हासिल हुई थी। ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में देखना होगा कि प्रदेश की जनता किस पार्टी की नीतियों पर अपनी मुहर लगाती है और किस दल को सत्ता की चाबी सौंपती हैं।
फिलहाल राज्य राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण आप ज्यादा प्रभावशाली नहीं रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था एक प्रमुख मुद्दा है जिस तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काम कर रहे है ऐसे में प्रदेश की जनता कानून व्यवस्था पर ज्यादा ध्यान देगी ना कि जातीय समीकरण पर ,क्योंकि अंबेडकर नगर पूरे प्रदेश में शिक्षा के मामले में तेजी के साथ बढ़ रहा है ऐसे में प्रदेश के विकास को लेकर लोग ज्यादा गंभीर नजर आ रहे हैं।