2022 विधानसभा चुनाव, सीएम योगी के खिलाफ चुनावी समर में उतरेंगे चंद्र शेखर आजाद

2022 विधानसभा चुनाव, सीएम योगी के खिलाफ चुनावी समर में उतरेंगे चंद्र शेखर आजाद
By Supriya Rani
यूपी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी कांग्रेस बसपा आजाद समाज पार्टी के साथ तमाम राजनीतिक दल चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद चुनावी मैदान में उतरने का दावा किया है जिसको लेकर तमाम सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
गोरखपुर से सीएम योगी विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे ।वही च सीएम योगी के खिलाफ चल शेखर आजाद चुनावी मैदान में होंगे।।जनता जानना चाहती है कि गोरखपुर के विकास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से काम किया है उसको लेकर सीएम योगी चुनावी मैदान में तो दूसरी तरफ दलित पिछड़े शोषित वंचित वर्गों के हक की लड़ाई के लिए आजाद समाज पार्टी के मुखिया चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं फिलहाल 10 मार्च को जब नतीजा घोषित होगा तो यह पता चल जाएगा कि आखिर गोरखपुर की जनता ने किस प्रत्याशी को विधायक बनने की ताजपोशी की है।
कोई राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि चंद्रशेखर काफी समय से दलितों शोषित और पिछड़ों की लड़ाई लड़ रहे हैं फिलहाल चुनावी समर में अभी पहली बार उनकी पार्टी मैदान में है आपको बता दें कि चंद्रशेखर के खिलाफ रासुका लगाई गई थी , वे कई महीनों तक जेल में रह चुके है ।
आखिर क्यों चंद्रशेखर आज़ाद ने सिर्फ गोरखपुर का रुख किया ?
सूत्रों का मुताबिक , गोरखपुर सदर सीट में करीब 4 लाख मतदाता है , जिनमे से 50 हज़ार दलित , 45 हज़ार मुस्लिम और 25 हज़ार कुर्मी है । 2020 में बुलंदशहर में हुए उपचुनाव को देखे तो पता चलता है कि आज़ाद समाज पार्टी को मुसलमानों के भी वोट मिले थे , तब आज़ाद समाज पार्टी तीसरे नंबर पर थी । उसे सपा , बीजेपी से भी ज्यादा वोट मिले थे । दलित और मुसलमानों की तादाद देखकर चंद्रशेखर ने यह फैसला लिया होगा । फिलहाल मतदाता जाति देखकर मतदान करेगा या विकास यह तो 10 मार्च को साफ हो पाएगा।
चंद्रशेखर ने अखिलेश को आखिर क्यूं गठबंधन से मना किया
चद्रशेखर आज़ाद ने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन करने का फैसला किया था मगर अखिलेश ने उन्हें महज़ दो सीटें देने की हामी भरी । मगर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई और आखिरकार आजाद समाज पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोक दल के साथ कई दूसरे छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है मगर आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन इसलिए नहीं हो पाया कि समाजवादी पार्टी ने दो सीट आजाद समाज पार्टी को दी थी
ऐसे में देखना होगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में छोटे दल खासतौर से आजाद समाज पार्टी जैसे दलों की क्या भूमिका होती है क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का किस तरफ करवट बदलेगा क्या छोटे दलों को उसका लाभ मिल पाएगा 10 मार्च को जब नतीजे घोषित होंगे तो तस्वीर साफ हो जाएगी ?