द्वाराहाट के ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती मेले में न्योजूला धड़े के रणबांकुरों ने भेंटा ओड़ा

द्वाराहाट के ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती मेले में न्योजूला धड़े के रणबांकुरों ने भेंटा ओड़ा
ललित बिष्ट अल्मोडा
अल्मोड़ा/द्वाराहाट: सांस्कृतिक नगरी द्वाराहाट में पाली पछांऊ के ऐतिहासिक और पौराणिक स्याल्दे बिखोती मेले का आगाज को विमांडेश्वर मंदिर में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ।
बिखोती मेले की पहचान नगाड़े निशानों के साथ नृत्य, झोड़ा चांचरी करते हुए ग्रामीण विमांडेश्वर मंदिर पहुंचे। भारी तादाद में स्थानीय लोग मेला देखने पहुंचे 2 साल के कोविड काल के बाद बड़े पैमाने पर मेले का आयोजन किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि एक बार फिर से मेले की रौनक लौटी है उन्हें खुशी है कि ऐतिहासिक मेला देखने को मिल रहा है पारंपरिक वाद्य यंत्रों से लैस कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी
आपको बता दें कि ऐतिहासिक स्याल्दे मुख्य मेले में नगाड़े की गर्जना व हुड़के की घमक के साथ वीररस की हुंकार ने हिमालयी गौरवशाली अतीत के दर्शन कराए। सरंकार नृत्य ने जहां रणकौशल की बानगी दी।
वहीं प्रेम व श्रृंगार रस से लबरेज झोड़ा व चांचरी ने माहौल में अलग ही मिठास घोली। वहीं रणसिंग की गगनभेदी धुन के बीच न्योजुला धड़े के जोशीले रणबांकुरों ने ओड़ा भेंटने की रस्म निभाई।
पौराणिक रस्म झोड़ा व चांचरी की उमंग से सराबोर रही। मुख्य स्याल्दे मेले को देखते हुए सुबह से ही महिलाओं की टोलियां मुख्य चौराहे पर जुटनी शुरू हो गई थी। शाम को न्योजूला धड़े की ग्राम बमनपुरी, सलालखोला, ध्याड़ी,विद्यापुर, जमीनीवार-जमीनीपार, हाट, कोला, छतिना,काहाली के रणबांकुरों ने नौ जोड़े नगाड़े निसाणों के साथ ओड़ा भेंटा। इस दौरान पूरा नगर त्रिशुल सजे निषाणों से लदा हुआ था। हालांकि मौसम ने भी अपना रुख बदल दिया था बारिश की बूदा बादी के साथ भी कौतीकारो में रौनक देखने को मिली लेकिन कुछ समय के लिए व्यापारियों के चेहरों में मायूसी छा गई थी। पुलिस प्रशासन की व्यवस्था भी बहुत बड़ीया रही।