आरटीई के तहत नहीं मिल रहा है दाखिला निजी स्कूलों की मनमानी शिक्षा विभाग पर लगा रही सवालिया निशान

बीएसए हुजूर: आरटीई के तहत दाखिला लेने वालों को वापस भेज रहे, स्कूल
अकील अहमद गाजीपुर
विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से आरटीई एडमिशन में विद्यालय कर रहे, मनमानी
स्कूल चलो अभियान को आईना दिखाता, आरटीई एडमिशन
विद्यालयो में यू डायस कोड जरूरी है, क्यों ?
आरटीई एडमिशन में जिम्मेदार अधिकारी मौन, विद्यालय प्रबंधन बेफिक्रे
गाजीपुर।
निजी स्कूलों की मनमानी के चलते आरटीई के तहत छात्र छात्राओं का दाखिला अधर में बढ़ता जा रहा है शिक्षा अधिकारियों की अनदेखी नौनिहालों के भविष्य को अंधकार में डाल रही है आखिर आरटीआई के तहत निजी स्कूलों में दाखिला क्यों नहीं मिल रहा है शिक्षा अधिकारी इस सवाल का जवाब देने से कतरा रहे हैं कहीं शिक्षा विभाग के निजी स्कूलों के तहत के साथ कोई सांठगांठ तो नहीं है ?
एक तरफ स्कूलों में स्कूल चलो अभियान जोरों पर है दाखिले के लिए आ रहे छात्रों का स्वागत हो रहा है, वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी गाजीपुर वाह- वाही लूटते हुए नजर आ रहे हैं शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के अंतर्गत नि:शुल्क दाखिला दिलाने में सदर ब्लाक अंतर्गत स्कॉलर्स अकैडमी मिरनापुर, चौकिया, गाज़ीपुर उनके मंसूबों पर पानी फेर रहा है।
विश्वस्त गोपनीय सूत्रों ने बताया कि इस खेल में विभागीय कर्मचारियों की संलिप्तता से इंकार नहीं जा सकता हैं।
क्षेत्र में जन चर्चाओं के अनुसार एडमिशन लेने आ रहे छात्रों को स्कॉलर्स अकेडमी, मिरनापुर, चौकिया गाज़ीपुर गेट से ही स्कूल प्रबंधन बहाना बनाकर वापस भेज रहा हैं।
भीषण गर्मी में छात्रों के अभिभावक आरटीई के तहत प्रथम लिस्ट जोकि जिला अधिकारी एवं बेसिक शिक्षा विभाग से वेरीफाई होकर स्कूलों को भेजी गई। पहली लिस्ट में शामिल अभिभावक विद्यालय का चक्कर काट रहे हैं। सोहीलापुर निवासी एक अभिभावक ने बताया कि बच्चे का चयन होने के बाद भी एडमिशन नहीं किया जा रहा है। इस मामले में जब मीडिया प्रतिनिधि ने सदर ब्लाक के ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (बीईओ) प्रीति गोयल से फोन पर बात की तो उन्होंने विद्यालय प्रबंधन से बात करने की बात कह कर टाल दी।
इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की हीला हवाली से आरटीई के तहत एडमिशन को लेकर स्कूलो की मनमानी बढ़ती जा रही है। जबकि समस्या का निस्तारण बीईओ कार्यालय स्तर पर ‘यू डायस कोड’ का ध्यान रखते हुए हो जाना चाहिए।
वहीं, इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने बताया कि पिछले दो सालों से बजट नहीं आया है। बगैर बजट के दाखिले में दिक्कत होती है। और शिक्षा विभाग, विद्यालय प्रबंधन को परेशान करता रहता है। दूसरी तरफ, क्षेत्र के अभिभावकों ने बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला न देने का आरोप लगाया।
एक अभिभावक ने खंड शिक्षा अधिकारी से मिलकर शिकायत करते हुए स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग की है। आरटीई के तहत फाइनल लिस्ट में चयनित इच्छुक सभी छात्रों का दाखिला विभाग ही सुनिश्चित कराएगा या स्कूल चलो अभियान को पलीता लगाते हुए लोकप्रिय योगी सरकार को बदनाम करेगा। यह तो आने वाला समय बतायेगा।