ऋषिकेश शहर का होगा सौन्दर्यकरण, उपरगामी विद्युत लाईनों का किया जायेगा भूमिगतिकरण” ब्यूरो रिपोर्ट
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“ऋषिकेश शहर का होगा सौन्दर्यकरण, उपरगामी विद्युत लाईनों का किया जायेगा भूमिगतिकरण”
ब्यूरो रिपोर्ट
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्णायक नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में यूपीसीएल प्रदेश की विद्युत वितरण प्रणाली को अधिक सशक्त, परादर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में निरन्तर प्रयासरत है। उत्तराखण्ड के औद्योगिक क्षेत्र के विकास में हो रहे व्यापक बदलाव को और अधिक गति देने हेतु बिजली वितरण क्षेत्र सुदृढ़ एवं समृद्ध हुआ है।
विगत वर्षों में यूपीसीएल द्वारा एक मजबूत विद्युत वितरण प्रणाली की स्थापना के साथ-साथ परिचालन एवं व्यवसायिक दक्षता में सुधार हेतु अहम कदम उठाये गये हैं। ऋषिकेश शहर में भूमिगत केबलिंग के बाद बारिश, तूफान और अन्य प्राकृतिक कारणों से बिजली कटौती की घटनाओं में कमी आएगी।
भूमिगत केबलिंग होने से जहां एक तरफ गगा किनारे व मुख्य बाजार क्षेत्रों में शहर का दृश्य सौंदर्य बढ़ेगा, साथ ही विद्युत व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ होगी। इसके अतिरिक्त भूमिगत केबलिंग से रखरखाव पर खर्च और समय दोनों की बचत होगी, वहीं SCADA सिस्टम के माध्यम से बिजली नेटवर्क की रियल टाइम मॉनिटरिंग और फॉल्ट का तुरंत पता लगाकर त्वरित बिजली बहाली संभव हो सकेगी। इससे उपभोक्ताओं को 24×7 निर्वाध और उच्च गुणवत्ता की बिजली आपूर्ति का लाभ मिलेगा।
बता दें कि यूपीसीएल को ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आयोजित 50 वीं मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में कुम्भ क्षेत्र (गंगा कॉरिडोर) के अंतर्गत ऋषिकेश क्षेत्र में विद्युत लाईनों के भूमिगतिकरण, ऑटोमेशन तथा देहरादून में SCADA कार्य हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है। यह परियोजना Revamped Distribution Sector Scheme (RDSS) के अंतर्गत स्वीकृत हुई है। इस स्वीकृति से उत्तराखण्ड में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता एवं सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार होगा।
प्रबन्ध द्वारा इस स्वीकृति पर कहा कि, “यह निर्णय उत्तराखण्ड, विशेषकर ऋषिकेश और देहरादून के उपभोक्ताओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। भूमिगत केबलिंग और SCADA तकनीक से न केवल बिजली आपूर्ति अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण व निर्वाध विद्युत आपूर्ति भी प्राप्त होगी। हम इस परियोजना को समयबद्ध और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं, ताकि प्रदेश के बिजली वितरण तंत्र को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आधुनिक बनाया जा सके।”