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Big breaking मेड इन इंडिया प्रगति की ओर

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मेड इन इंडिया प्रगति की ओर

प्रो लल्लन प्रसाद

विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए उद्देश्य से 2014 में प्रारंभ की गई मेड इन इंडिया योजना शुरु के कुछ वर्षों में धीमी प्रगति के बाद के बाद अब तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। इस योजना के अंतर्गत 27 महत्वपूर्ण उद्योगों को शामिल किया गया था जिन में रक्षा उत्पादन, विद्युत मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन, निर्माण, शोध प्रसंस्करण, आई टी, ऑटोमोबाइल, टैक्सटाइल्स, खनिज तेल, गैस, फार्मास्यूटिकल्स, मीडिया और मनोरंजन, बंदरगाह, रेलवे, हवाई अड्डे आदि के विकास पर विशेष जोर दिया गया। मध्य अवधि में इस क्षेत्र की वृद्धि 12 से 14%, जीडीपी में भागीदारी 16 से बढ़ाकर 25% एवं 10 करोड रोजगार स्रिजन का लक्ष्य रखा गया था।

रक्षा उत्पादन में भारत तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है 2022-23 में इस क्षेत्र में कुल उत्पादन 1 लाख करोड रुपए से अधिक का और निर्यात 16000 करोड रुपए का हुआ। जिन चीजों का निर्यात हो रहा है उनमें आधुनिकतम रक्षा उपकरण और यंत्र शामिल हैं जैसे डारनियर 228, एडवांस आर्टिलरी गंस, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, राडार्स और सिम्युलेटर्स, तेजस, लाइट कामबैट हेलीकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर्स शामिल हैं। विश्व के 85 देशों को भारत से रक्षा सामग्री निर्यात की जा रही है जिसमें 100 से अधिक भारतीय कंपनियां कार्यरत हैं। रक्षा और उपकरण जिनका आयात बंद कर दिया गया है और जिनके उत्पादन में छोटे और मध्यम श्रेणी के भारतीय उद्योगों को भी शामिल किया गया है उनकी लंबी लिस्ट है।

भारत का फार्मास्यूटिकल उद्योग विश्व स्तर का हो गया है, जेनेरिक ड्रग्स का भारत दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक है और देश में बनी वैक्सीन और जेनेरिक मेडिसिंस की लागत भी कम होती है। लगभग 3000 कंपनियां इस क्षेत्र में उत्पादन में लगी हुई हैं, उद्योग 9% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है और इसका मार्केट साइज 65 बिलियन डॉलर के करीब है जो 2030 तक 130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की आशा है। ऑटोमेटिक रूट से इस उद्योग मे 100% विदेशी निवेश की अनुमति है जो मार्च 2023 तक लगभग 21.46 बिलियन डॉलर हो चुका है।

मोबाइल फोन बनाने वाला भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। 2014- 22 के बीच भारत में दो अरब मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन हुआ, इसका लगभग 20% निर्यात हो रहा है। 2022-23 में मोबाइल फोन का निर्यात 90000 करोड रुपए के पास पहुंच गया। इस उद्योग का विकास दर 23% प्रतिवर्ष है। वाहन उत्पादन में भारत का विश्व में चौथा स्थान है। विश्व की अधिकांश बड़ी कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने भारत में अपने प्लांट लगाए हैं। ट्रैक्टर का भारत दुनिया में सबसे बड़ा निर्माता है, छोटी कारों का बड़ा निर्यातक है। 2021 में भारत का मोटर वाहन बाजार 100 बिलियन डॉलर का था जो अगले 5 वर्षों में 160 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। देश की सकल घरेलू आय में वाहन उद्योग का 7.1 प्रतिशत और निर्यात में 4.7% का योगदान है।

खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) उद्योग भारत के बड़े उद्योगों में एक है जो समस्त औद्योगिक उत्पादन और जीडीपी मे 6% का योगदान देता है, पंजीकृत क्षेत्र में 12% से अधिक लोगों को रोजगार देता है। इस उद्योग में फलों, सब्जियों, मेवों, मसालों, मांस, मछली, दूध और दुग्ध पदार्थों, अनाजों, सोया, दालों आदि को वैज्ञानिक ज्ञान और तकनीक के सहारे खाद्य पदार्थों में संसाधित किया जाता है और खाने पीने योग्य बनाया जाता है। मिष्ठान, चॉकलेट, मदिरा, और विभिन्न तरह के पेय भी इसमें सम्मिलित हैं। 5 वर्षों में इस उद्योग की औसत वृद्धि 11.18% रही। भारत का खिलौना उद्योग तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। 2021-22 में खिलौने का आयात 70% कम हो गया निर्यात में 636% की वृद्धि हुई।

मेड इन इंडिया को प्रभावी बनाने में जिन योजनाओं और कार्यक्रमों का योगदान है उनमें उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पी एल आई), व्यापार करने की सहूलियत, विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की नीति और कार्यक्रम एवं गति शक्ति शामिल हैं। घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात कम करने के उद्देश्य से 2020 में सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना आरंभ की जिसमें उत्पादकों को बिक्री के आधार पर सरकार प्रोत्साहन देती है। योजना के अंतर्गत 80% से अधिक प्रोत्साहन का आवंटन मोबाइल, फार्मा, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों, और वाहनों के लिए किया गया। विश्व की जो बडी कंपनियां इस योजना से आकर्षित हुई उनमें मोटरोला, इंटेल, सैमसंग, एप्पल, लेनेवा आदि शामिल हैं। सितंबर 2023 तक इस योजना के अंतर्गत 14 उत्पादन क्षेत्रों में कुल 95000 करोड रुपए का निवेश आया। व्यापार करने की सहूलिया की दृष्टि से भारत विश्व के 10 प्रमुख देशों में आ गया है। विदेशी निवेश आकर्षित करने वाला भारत विश्व का सबसे बड़ा देश बन गया है। 2014-15 में एफ डी आई अंतर्वाह 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जो 2021-22 में बढ़कर 83.6 बिलियन डॉलर का हो गया। गति शक्ति योजना बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) के निर्माण में तेजी से प्रगति करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच सहकार एवं समन्वय के उद्देश्य से बनाई गई। भारतमाला (राजमार्ग), सागरमाला (तटीय नौका वाहन), उडान (वायु सेवा), भारत नेट (दूरसंचार सेवा) को सम्मिलित रूप से आगे बढ़ाने में यह नीति सहायक हो रही है।

 

मैन्युफैक्चरिंग की लागत भारत में अमेरिका और चीन जैसे देशों से कम होने से विश्व व्यापार में भारतीय वस्तुओं का निर्यात बढ़ रहा है चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीनो में 8 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ जिसमें भारत में बने आईफोन का बड़ा हिस्सा है। कुछ उद्योगों में प्रगति आशा अनुकूल नहीं है, उनकी उत्पादक गुणवत्ता बढ़ाने और लागत मे कमी की आवश्यकता है ताकि वे विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें।

 

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