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सच्ची घटनाओं को फिक्शन के साथ किया गया है पेश, युवाओं को पसंद आ रही है दी डार्कंड पेज

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सच्ची घटनाओं को फिक्शन के साथ किया गया है पेश, युवाओं को पसंद आ रही है दी डार्कंड पेज

ब्यूरो रिपोर्ट

युवा लेखक मिशन बिष्ट ने अपनी पहली पुस्तक दी डार्कंड पेज में अनछुए पहलुओं को संजोने का प्रयत्न किया है।

बीटेक ग्रेजुएट मिशन बिष्ट समाज की हकीकत की घटनाओं को सारगर्भित तरीके से पाठकों के सामने लाने की कोशिश की है जो घटनाएं आज समाज में देखने को मिलती है,

चाहे कुछ घटनाएं कल्पना के जैसे लगती हो, मिसाल के तौर पर आज भी कई गांव समाज में भूत की घटनाएं देखने को मिलती है मगर उन घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जहां नजरअंदाज कर दिया जाता है वहीं उनका आज भी समाज में उनका प्रभाव भी देखने को मिलता है।

युवा लेखक मिशन बिष्ट ने ऐसे पहलुओं को बहुत ही बारीकी के साथ फिक्शन के साथ जोड़ने का काम किया है जो दर्शकों को हकीकत से रूबरू करा रही है । मगर उनके जो पात्र हैं वह काल्पनिक है ऐसे में उनका कहना है कि समाज के हर पहलू को भी छूने की कोशिश की गई है

सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उन्होंने अलग-अलग घटनाओं को संकलित करते हुए इस बात पर फोकस किया है कि किस तरह से सामाजिक घटनाएं मानव जीवन पर प्रभाव भी डालती है वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भले ही उनका आधार ना मिलता हो मगर सामाजिक दृष्टिकोण से आज भी उन घटनाओं के पीछे का रहस्य बरकरार है ।

युवा लेखक मिशन बिष्ट का कहना है कि सच्ची घटना को काल्पनिक पात्रों के जरिए दर्शकों तक पहुंचाने की बहुत ही बेहतरीन कोशिश की है जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है किन्हीं कारण बस उसके परिवार के लोग शव के पास में नहीं रहते जिसकी वजह से आत्मा उस मृत शरीर में पुनः प्रवेश कर जाती है इसीलिए लोग मृतक के शरीर को छोड़कर नहीं जाते हैं और कई तरह की क्रिया मृत्यु के पक्ष से शुरू हो जाती है। मिसाल के तौर पर कई जगह मृत्यु के बाद धूप या अगरबत्ती जलाई जाती है लोग शव के पास मौजूद रहते है ।

 

किस तरह से कई कहानियों को संकलित किया है बहुत ही बेहतरीन तरीके की प्रस्तुति है उनकी प्रथम कृति है जिसको बहुत ही उत्साह के साथ युवा पढ़ भी रहे हैं और उनकी पुस्तक की भी मांग बढ़ रही है।

 

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