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सीआईएमएस कॉलेज कुंआवाला देहरादून में चिकित्सा एवं फार्मा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन।

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सीआईएमएस कॉलेज कुंआवाला देहरादून में चिकित्सा एवं फार्मा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन।

ब्यूरो रिपोर्ट

कम्बाइंड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च कुंआवाला देहरादून में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से चिकित्सा एवं फार्मा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) के निदेशक डॉ. दुर्गेश पंत, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद आईआईपी मोहकमपुर के निदेशक डॉ. हरेन्द्र बिष्ट मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यशाला में सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने संस्थान परिसर में सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार किया। उन्होंने कार्यशाला के आयोजन को लेकर यूकॉस्ट का धन्यवाद किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राईट यानी बौद्धिक सम्पदा अधिकार मानव मस्तिष्क के विचारों से उत्पन्न एक उपज हैं।

दुनिया के देश, कई सदियों से अपने-अपने अलग कानून बना कर इस मानव मस्तिष्क से उत्पन्न उपज को सुरक्षित करते चले आ रहें हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) चिकित्सा एवं फार्मा उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आईपीआर नए आविष्कारों, तकनीकों और उत्पादों को सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे कंपनियों को इन पर निवेश करने और उन्हें बाजार में लाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) के निदेशक डॉ. दुर्गेश पंत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) का महत्व आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अत्यधिक बढ़ गया है। यह अधिकार किसी व्यक्ति या संगठन की सृजनात्मकता, नवाचार, और उनकी मेहनत से उत्पन्न बौद्धिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए अत्यावश्यक हैं।

 

चाहे वह कोई आविष्कार हो, साहित्यिक या कलात्मक रचना हो, डिजाइन हो या फिर कोई ट्रेडमार्क—सभी के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार एक सुरक्षात्मक कवच के समान हैं। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार किसी भी राष्ट्र की सृजनात्मकता और विकास का प्रतिबिंब हैं। इनकी रक्षा करना और इन्हें बढ़ावा देना हम सभी का कर्तव्य है। यदि हम इसे ठीक से समझेंगे और उपयोग करेंगे, तो निश्चित ही हम अपने देश को और अधिक प्रगतिशील, रचनात्मक, और सशक्त बना सकते हैं।

वहीं वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद आईआईपी मोहकमपुर के निदेशक डॉ. हरेन्द्र बिष्ट ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों का चिकित्सा एवं फार्मा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि ये अधिकार न केवल नवाचार को बढ़ावा देते हैं बल्कि समाज के कल्याण के लिए नए उपचार और दवाओं के विकास को प्रेरित करते हैं। चिकित्सा एवं फार्मा उद्योग का उद्देश्य न केवल मानव स्वास्थ्य में सुधार लाना है, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से नई खोजों को संभव बनाना भी है। इस संदर्भ में, बौद्धिक संपदा अधिकार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। IPR के माध्यम से वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को उनके आविष्कारों पर संरक्षण प्रदान किया जाता है, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का उचित सम्मान और लाभ मिल सके।

 

कार्यशाला में इंटास फार्मास्यूटिकल्स के डीजीएम दुर्गेश सिंह, यूकॉस्ट के वैज्ञानिक हिमांशु गोयल, आईपीआर कंसल्टेंट आरती बर्थवाल ने चिकित्सा एवं फार्मा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

 

कार्यक्रम में सीआई सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय जोशी, सीआईएमएस कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रधानाचार्या डॉ. बलजीत कौर, सीआईएमएस कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल की प्रधानाचार्या डॉ. चारू ठाकुर, उपप्रधानाचार्य रबीन्द्र कुमार झा, आईपीआर समन्वयक डॉ. रंजीत कुमार सिंह, डॉ. दीपिका विश्वास सहित शिक्षक एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के 300 से अधिक छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।

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