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सीएम योगी की चाणक्य नीति से अखिलेश, मायावती चित, निकाय में चुनाव में भाजपा का परचम

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सीएम योगी की चाणक्य नीति से अखिलेश, मायावती चित, निकाय में चुनाव में भाजपा का परचम

संदीप कुमार राज्य संवाददाता साउथ एशिया 24 ×7 लखनऊ

लखनऊ, 14 मई।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति के सामने मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी बसपा और कांग्रेस जैसे पार्टियों के दिग्गजों धराशाई हो गए । योगी आदित्यनाथ ने एक रिकॉर्ड कायम कर दिया 17 नगर निगम का रिजल्ट भाजपा के पक्ष में आया है 2024 के लोकसभा के सेमीफाइनल में भाजपा फिलहाल पास हो गई है राजनीतिक समीक्षक तो यही मानते हैं बाकी जनता जनार्दन तय करेंगी।

यूपी के 25 करोड़ जनमानस का यकीन योगी पर साल दर साल बढ़ता जा रहा है। 2017 में योगी के सत्ता संभालने के बाद से ही आमजन ने सूर्य की भांति योगी आदित्यनाथ के चमकने में भरपूर योगदान दिया। विधानसभा चुनाव हों, लोकसभा चुनाव हों या उपचुनाव, हर जगह भाजपा का पलड़ा भारी रहा। यह क्रम नगर निकाय चुनाव 2023 में भी जारी रहा। 2017 के मुकाबले 2023 में योगी आदित्यनाथ के विकास, कानून व्यवस्था व शहरी व्यवस्था के दृष्टिगत नगर निगम, नगर पंचायत व नगर पालिका में कमल ने कमाल कर दिया। वहीं समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी का ग्राफ इतना गिरा कि पिछली बार जीती सीटों को भी बरकरार नहीं रख पाई।

नगर निगम में 17 महापौर व 813 पार्षदों ने खिलाया कमल

योगी आदित्यनाथ के कार्य व चुनाव प्रचार की बदौलत इस बार नगर निगम में महापौर की सभी 17 सीटों पर कमल खिला, जबकि 2017 में 16 में से 14 पर ही भाजपा को जीत मिली थी। नगर निगम में पार्षदों की संख्या पर नजर डालें तो इस बार भारतीय जनता पार्टी के 1420 में से 813 जनप्रतिनिधि कमल खिलाने में सफल रहे। पिछली बार यह आंकड़ा 596 का था। शहरों में भाजपा की यह जीत योगी के विकास पर आमजन की मुहर है।

नगर पालिका के 88 अध्यक्ष और 1353 सदस्य भाजपा के नगर पालिका में भी योगी का जादू खूब चला। योगी आदित्यनाथ ने नगर पालिका प्रत्याशियों के पक्ष में भी जनसभा कर वोट देने की अपील की। जनता ने इस अपील को न सिर्फ माना, बल्कि कई जगहों पर कमल के वोट प्रतिशत में भी खूब इजाफा किया। नगर पालिका परिषद के 60 अध्यक्ष पद पर 2017 में भाजपा को जीत मिली थी। 199 सीटों में से यह आंकड़ा इस बार बढ़कर 88 पहुंच गया। वहीं पालिका परिषद सदस्यों में पिछली बार भाजपा को 923 सीट मिली थी। 2023 में यह संख्या बढ़कर 1353 हो गई।

नगर पंचायतों में भी शतक से आगे पहुंची भाजपा

नगर पंचायतों में भी भाजपा ने परचम लहराया। 544में से 191 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद पर भाजपा के प्रतिनिधि काबिज हुए। 2017 में यह आंकड़ा सिर्फ 100 का था। यानी योगी के विकास की बदौलत न सिर्फ 91 और सीटें भाजपा की झोली में आईं, बल्कि वोट प्रतिशत में इजाफा भी खूब हुआ। भाजपा के नगर पंचायत सदस्यों की संख्या भी 664 से बढ़कर 1403 हो गई।

सपा की साइकिल पंचर, बसपा का हाथी भी सुस्त

नगर निगम, पंचायत व पालिका में सपा की साइकिल पंचर हो गई तो बसपा का हाथी भी गिर गया। 2017 की अपेक्षा इस चुनाव में इन दोनों प्रमुख विपक्षी दलों का हाल बहुत बुरा रहा। नगर निगम में सपा महापौर की रेस में शून्य पर ही रही। पार्षद 202 से घटकर 191 पर आ गए। नगर पालिका परिषद अध्यक्षों की संख्या भी 45 से घटकर 35 हो गई। 2017 में सपा सदस्यों की संख्या 477 थी, वह 2023 में 423 हो गई। 2017 में नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर सपा को 83 सीटों पर जीत मिली थी, 2023 में 78 पर सपा सिमट गई। बहुजन समाज पार्टी के दो महापौर 2017 में चुने गए थे। इस बार उनका खाता भी नहीं खुला। पार्षद 147 से घटकर 85 हो गए। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष बसपा के 29 से 16 हो गए। पालिका परिषद सदस्यों की संख्या 262 से 191 हो गई। नगर पंचायत अध्यक्ष भी 45 से घटकर 37 और सदस्य 218 से घटकर 215 हो गए।

 

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