South Asia 24×7 का मतलब पक्की खबर, देश और जहान की ताजातरीन खबरें,पत्रकारिता की नई आधारशिला, निष्पक्षता और पारदर्शिता अब, South Asia 24×7 पर खबर ग्राउंड जीरो से, मंझे हुए संवाददाताओं के साथ,हर जन मुद्दे पर, सीधा सवाल सरकार से ,सिर्फ South Asia 24 ×7 पर,पत्रकारिता की मजबूती के लिए जुड़िए हमारे साथ, South Asia 24×7 के यूट्यूब चैनल,फेसबुक और ट्विटर पर क्योंकि हम करते है बात मुद्दे की

South Asia24x7

Hindi News, Breaking News in Hindi, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi,South Asia24x7

Big news 13 कन्याओं ने अपने जीवन को ईश्वर के प्रति किया समर्पित

1 min read

 

ब्रह्माकुमारी प्रेमलता बहन के नाम पर आर्ट गैलरी
डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

 

ब्यूरो रिपोर्ट

ब्रह्माकुमारीज सब जोन देहरादून के विभिन्न केंद्रों से 13 कन्याओं ने स्वयं को जीवनभर के लिए ईश्वरीय सेवा के प्रति समर्पित होकर परमात्मा शिव को ही अपना साजन चुन लिया।

इस अवसर पर हुए भव्य सम्मान समारोह में इन सभी 13 कन्याओं का अभिनन्दन किया गया।इस दिव्य आयोजन की साक्षी बनी वरिष्ठ राजयोगिनी बीके चक्रधारी,बीके मंजू,बीके मीना,बीके तारा,बीके गीता,बीके सोनिया आदि रही।

वही मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त कर आध्यात्म मार्ग को ही अपना जीवन लक्ष्य बनाने वाली राजयोगिनी प्रेमलता बहन की याद में देहरादून के सुभाष नगर सेवा केंद्र पर बनाई गई ।

आर्ट गैलरी का शुभारंभ स्वामी राम मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजय धस्माना समेत हरिद्वार के कई साधु संतों ने किया।दिल्ली से पधारी ब्रह्माकुमारीज महिला विंग चेयरपर्सन बीके चक्रधारी ने आर्ट गैलरी को निहारते हुए उसके रूहानी स्वरूप को अनुपम बताया।

इस आर्ट गैलरी में प्रेमलता बहन की रूहानी यात्रा के चित्रों को सजाया गया है,साथ ही उनकी याद में एक स्तम्भ भी स्थापित किया गया है।ब्रह्माकुमारीज संस्थापक ब्रहमा बाबा चाहते थे, कि परमात्मा शिव का ईश्वरीय ज्ञान भक्ति मार्ग के साधु संतों को भी मिले।जिसके लिए उन्होंने ब्रहमाकुमारी प्रेमलता बहन को इस ईश्वरीय सेवा के लिए निमित्त बनाया और उन्हें हरिद्वार में जाकर साधू संतों को ईश्वरीय ज्ञान बांटने की सेवा दी।

सचमुच बहुत कठिन परीक्षा थी ब्रहमाकुमारी प्रेमलता के लिए, क्योंकि जिन साधू संतों को ईश्वरीय ज्ञान देने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई, वें साधू संत तो स्वयं को सर्वज्ञानी मानते हैं। 

फिर भला वें एक बालिका से कैसे ज्ञानार्जन करना स्वीकार कर सकते थे। लेकिन प्रेमलता के लिए ब्रहमा बाबा का आदेश ही सर्वोपरि रहा, चाहे उसमें कितनी भी कठिनाई क्यों न हों। वें हरिद्वार आई और उन्होंने हरिद्वार के आश्रमों में जाकर साधू संतों से सम्पर्क साधना आरम्भ किया।आरम्भ में साधू संत उनसे
मिलना भी गंवारा नहीं समझते थे और यदि मिल भी जाते तो प्रेमलता को छोटी बच्ची समझ कर स्वयं ही भक्ति मार्ग का ज्ञान उन्हें देने लगते।

लेकिन साधू संतों की बातों को सुन मंद मंद मुस्काती प्रेमलता के चेहरे पर कभी शिकन तक नहीं आई और जब साधू संतों की बात समाप्त हो जाती या फिर यदि वें क्रोध
में होते तो उनका क्रोध शांत हो जाता, तब बड़े ही सहज भाव से प्रेमलता ईश्वरीय ज्ञान का उन्हें ऐसा पाठ पढ़ाती, कि साधू संत उनके सामने नतमस्तक हो जाते।

बड़े होने तक वे आध्यात्मिक रूप से इतनी सम्रद्ध हो गई कि उनकी साधना,उनके चेहरे के तेज और उनके सेवा भाव को देखकर बड़े से बड़े संत, महात्मा, साधु उनकी दिव्यता को देखकर प्रभावित होने लगे।वही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के देहरादून सेवा केंद्र पर ही ब्रह्माकुमारीज धर्म प्रभाग की प्रमुख एवं देहरादून सबजोन इंचार्ज रही राजयोगिनी बीके प्रेम लता बहन की छठी पुण्यतिथि पर उनके मर्यादित जीवन को प्रेरणा प्रद बताया गया।तभी तो उनकी पुण्यतिथि को मर्यादा दिवस के रूप में मनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।राजयोगी ब्रह्माकुमार सुशील भाई के संचालन में ब्रह्माकुमारीज हरिद्वार केंद्र इंचार्ज बीके मीना दीदी ने प्रेमलता बहन के साथ बिताए 40 वर्षो को याद करते हुए उन्हें मर्यादा व आदर्श की मिसाल बताया।

स्वामी राम मेडिकल विश्व विद्यालय जौलीग्रांट, देहरादून के कुलपति डॉ विजय धस्माना ने आत्मा व परमात्मा को रेखांकित करते हुए राजयोगिनी प्रेमलता बहन के मर्यादित जीवन से प्रेरणा लेने का आव्हान किया।

उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था से विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर युवा पीढ़ी को नैतिकता का पाठ पढ़ाने व उन्हें मर्यादित जीवन के लिए तैयार करने की अपील की।हरिद्वार के संत स्वामी सुरतदास ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था स्वयं में मर्यादित संस्था है,दुनिया के लोगो को मर्यादा में रहकर कैसे जीवन जी सकते है,यह ब्रह्माकुमारीज से सीखना चाहिए।भगवान राम ने भी मनुष्य जीवन मे मर्यादा का अनुसरण किया।तभी उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया।देहरादून सेवा केंद्र प्रभारी बीके मंजू ने राजयोगिनी प्रेमलता बहन को भावुक मन से याद करते हुए उनके सद्गुणों पर लाजवाब कविता सुनाई।उन्होंने उन्हें एक मां,एक शिक्षक ,एक गुरु के रूप में याद किया व श्रद्धा सुमन अर्पित किए।इसी दौरान प्रेम बहन की आवाज का ऑडियो भी सुनाया गया। गरीबदास आश्रम हरिद्वार के संत रवि शास्त्री ने प्रेमलता बहन को संतो की आदर्श बताया व उनके द्वारा की गई ईश्वरीय सेवाओं को याद किया।उन्होंने अपने गुरु डॉ श्याम सुंदर दास का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उनके ब्रह्माकुमारीज संस्था से लगाव के संस्मरण सुनाए।

हरिद्वार के ही महामंडलेश्वर करणपाल विधि महाराज ने ब्रह्माकुमारीज संस्था को देश व समाज के लिए प्रेरक बताया जो दुनिया को चरित्र निर्माण का संदेश दे रही है।उन्होंने प्रेमलता बहन को एक दिव्य विभूति बताते हुए उनके जीवन से सीख लेने का आव्हान किया।

दिल्ली से पधारी वरिष्ठ राजयोगिनी चक्रधारी दीदी ने प्रेम बहन से जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए व उनके द्वारा किये गए सद्कार्यों की चर्चा की।उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था की आध्यात्मिक विकास यात्रा का भी जिक्र किया व राजयोग अपनाने की सलाह दी।इस अवसर पर वरिष्ठ बहनों द्वारा नव समर्पित कन्याओं को उनके शुरू हो रहे आध्यात्मिक जीवन की बाबत खास टिप्स भी दी गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!