South Asia 24×7 का मतलब पक्की खबर, देश और जहान की ताजातरीन खबरें,पत्रकारिता की नई आधारशिला, निष्पक्षता और पारदर्शिता अब, South Asia 24×7 पर खबर ग्राउंड जीरो से, मंझे हुए संवाददाताओं के साथ,हर जन मुद्दे पर, सीधा सवाल सरकार से ,सिर्फ South Asia 24 ×7 पर,पत्रकारिता की मजबूती के लिए जुड़िए हमारे साथ, South Asia 24×7 के यूट्यूब चैनल,फेसबुक और ट्विटर पर क्योंकि हम करते है बात मुद्दे की

South Asia24x7

Hindi News, Breaking News in Hindi, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi,South Asia24x7

होलाष्टक क्या होता है ?  अखिलेश  चन्द्र चमोला

1 min read

होलाष्टक क्या होता है ?  अखिलेश  चन्द्र चमोला 

By Sohan  Singh 

हमारा भारत वर्ष त्योहारों का देश है, जहां पर हर महीने में कोई न कोई त्योहार मनाने की परम्परा देखने को मिलती है,जिसमें विविधता मे भी एकता के दर्शन निरूपित होते हैं।

इसी क्रम होली का भी त्योहार है। जो कि 6मार्च को होलिका दहन और 8मार्च को आपसी भातृत्व के भाव के रुप में गीली होली का पर्व है।इस होली त्योहार के साथ होलाष्टक का भी भाव जुडा हुआ है,होलाष्टक क्या है।

इस सन्दर्भ में तरह-तरह की रूचिप्रद कहानियों के संकेत देखने को मिलते हैं।होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाते हैं।

होलाष्टक 28फरवरी से शुरु होकर 6 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त हो जायेंगे।होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं।होलाष्टक के समय शुभ ग्रह भी अशुभ फल देते हैं।एक प्रकार से सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र हो जाता है।

होलाष्टक के सन्दर्भ में मान्यता है कि भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को इन दिनो कठोर यातनाएं देकर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।जिस कारण भगवान बिष्णु ने ये दिन श्रापित करते हुए अशुभता में निरूपित कर दिए।

दूसरी पौराणिक मान्यता यह है कि एक बार तारकासुर नाम के राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओ को परेशान करना शुरू कर दिया।उसे यह वरदान प्राप्त था कि उसका बध शंकर भगवान के पुत्र द्वारा ही संभव हो सकता है।भगवान शंकर निर्गुण परम तत्व में अपनी तपस्या में लीन थे।

देवताओ का व जन कल्याण के लिए कामदेव ने भोले बाबा शंकर की तपस्या को भंग करने का प्रयास किया,जिस कारण भगवान शंकर ने कुपित होकर कामदेव को भस्म कर दिया।काम देब की पत्नी रति ने अपने पति को जीवित करने के लिए कठोर साधना की जिससे खुश होकर भगवान शंकर ने रति के पति को जीवित कर दिया।तभी से होलाष्टक मनाने की परम्परा चल रही है।होलाष्टक के दिनों में विवाह, सगाई, मांगलिक कार्यो के अलावा नामकरण संस्कार, भवन निर्माण, जमीन खरीदना व बेचना ,आभूषण खरीदना ,जमीन बेचना आदि सभी कार्य अशुभ माने जाते हैं।होलिका दहन के दिन ही होलाष्टक का भी अंत हो जाता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!