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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को किया गया सम्मानित।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को किया गया सम्मानित।

नेहरूग्राम,देहरादून में नव चेतना समिति ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजन किया । कार्यक्रम में पुष्पा गुरुंग, आशा सुंदरियाल, सरस्वती भोसाल, कांता भट्ट, रंजिता राणा एवं ज्योति भट्ट को स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में समिति की संयोजक दीप्ति रावत बिष्ट ने कहा कि इस बार का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस लोकसभा चुनाव प्रचार के माहौल में मना रहे हैं। लोकसभा सदन में हमारे जीवन – निर्धारण की नीतियों का निर्माण होता है।

 

हमारे देश मे भारतीय जनता पार्टी का 10 वर्षों से शासन है, जो कि जनमानस की जीवन स्थितियो मे प्रभावी परिवर्तन के आंकलन के लिये पर्याप्त समय है।

वर्तमान समय में प्रमुख राजनीतिक पार्टियों व नामचीन राजनेताओ के निर्लज्ज व्यवहार ने राजनैतिक टिप्पणी करने को संदेहास्पद व अविश्वसनीय बना दिया है फिर भी नव चेतना समिती आम इंसानो के बीच सामाजिक कार्य करने वाले संगठन होने के नाते स्वयं को राय रखने से अछूता नही रख सकती।

विश्व आर्थिक मंच यानी डब्ल्यूईएफ़ (WEF) प्रत्येक वर्ष वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट जारी करता है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य विभिन्न देशों के 4 प्रमुख क्षेत्रों- स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिकी तथा राजनीति- में महिलाओं और पुरुषों की पहुँच के अंतर को मापना है।

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साल 2022 के लिए WEF ने 146 देशों के लैंगिक अंतराल का आंकलन किया है। भारत को इसमें 135वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। 2006 में जब इस सूचकांक की शुरुआत हुई थी तब भारत 115 देशों में 98वें स्थान पर था। 2012 में यह रैंकिंग 135 देशों के मुकाबले 105 थी। मात्र 6 वर्ष पहले, 2016 में भारत इस सूचकांक में 87वें स्थान पर था।

विगत वर्षों में हमारे देश की अर्थव्यवस्था तो लगातार बढ़ी लेकिन महिलाओं की स्थिति में उस अनुपात में बदलाव नहीं हो सका है।
जब 2021 में इस वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक में भारत को 140वां स्थान मिला था तब भारत सरकार ने आपत्ति दर्ज की थी। सरकार का मानना था कि सूचकांक भारत की वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शा रहा है। सरकार की इस आपत्ति को जाँचने के लिए हमें कुछ आंकड़ों पर गौर करना चाहिए।

आगे बढ़ रहा है देश

देश के लगभग 70% राज्यों में 10% से भी कम संख्या महिला मंत्रियों की थी। इसमें सबसे ज़्यादा बुरी स्थिति वाले राज्यों में कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। देश की सबसे बड़ी पार्टी, बीजेपी में कभी कोई महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं रही।

पिछ्ले वर्षों में महिलाओ की चुनावी जीत के बाद नई महिला उम्मीदवारों के प्रवेश में गिरावट आई है। एक महिला एक पुरुष की अपेक्षा कहीं बेहतर नेतृत्व संभाल सकती है।।

बिना किसी पूर्व अनुभव वाली महिला राजनेता शुरू में थोड़ा कम प्रदर्शन करती हैं, परंतु वह तेजी से सीखती हैं और अनारक्षित सीटों पर पुरुष नेताओं के साथ पूरी तरह से पकड़ बना लेती हैं। महिलाओं को पीछे रखने के सूत्र इसी सामाजिक ढांचे में छिपे हैं।

जिसमें पुरुष अपनी असक्षमता के बावजूद अपने वर्चस्व को बचाने के लिए शोषण के इस व्यापक तंत्र को अपनी खास स्थिति के कारण लगातार हवा दे रहा है।

नव चेतना समिति का मानना है कि महिलाओ की स्थिति का बेहतर होते जाना स्वस्थ लोकतंत्र का लक्षण है और इसका सम्पूर्ण जिम्मा सरकारों का है। हमारे देश भारत के सन्दर्भ में केंद्र व प्रदेश की सरकारों को महिला विकास की नीतियों को सर्वोच्च स्थान देना चाहिये।

विश्व पटल पर भारत  की  बदली तस्वीर

 

नव चेतना समिती प्रत्येक वर्ष महिला दिवस का आयोजन कर अपने सामजिक कार्यो से अर्जित अनुभव को साझा करती है ताकि हम बेहतर भविष्य के निर्माण में आगे बढ़ सकें। नव चेतना समिति आप सभी से अपील करती है की महिला दिवस के इस आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में आकर महिलाओ के इस उत्सव में भागीदार बने।

कार्यक्रम को एकता थापा, अनिता उपाध्याय, मीना खत्री, गीता थापा, शशी थापा, गुंजन गुरुंग, मीनाक्षी गुरंग, रजनी चुफआल्, मोनिका यादव, स्नेहलता शर्मा, कमला थापा, उमा थापा, माया पंडीर ने संबोधित किया। उत्सव को आकर्षक बनाने हेतु एक पारंपरिक पोशाक प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी।

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