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बिरला का लोकसभा अध्यक्ष बनना, जनमत पर संसद की पहली मुहर : भट्ट

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बिरला का लोकसभा अध्यक्ष बनना, जनमत पर संसद की पहली मुहर : भट्ट

आपातकाल की चर्चा पर सदन में हंगामा, विपक्ष का लोकतंत्र विरोधी चरित्र : भट्ट

संविधान की प्रति हाथ में लेकर ड्रामा करने वालों ने ही इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र का गला घोटने का पाप किया था : भट्ट

 

ब्यूरो रिपोर्ट

देहरादून 26 जून। भाजपा ने ओम बिरला के दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए जीत का सिलसिला बनाए रहने का दावा किया है। प्रदेश अध्यक्ष एवम राज्यसभा सांसद श्री महेंद्र भट्ट ने आपातकाल के मुद्दे पर चर्चा के दौरान हुए सदन में हुए विपक्षी हंगामे की कड़ी निंदा करते हुए, इसे संविधान की प्रति हाथ में लेकर ड्रामा करने वालों का असल लोकतंत्र विरोधी चरित्र बताया । साथ ही तंज किया कि संविधान बचाने पर भ्रम फैलाने वालों ने ही 50 वर्ष पहले आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोटने का काम किया था।

उन्होंने 18 वी लोकसभा की कार्यवाही को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए हुए श्री ओम बिरला को लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनने पर बधाई दी हैं । एनडीए उम्मीदवार के तौर पर ध्वनिमत से हासिल हुई इस जीत को उन्होंने जनमत पर संसद की पहली मुहर बताया। साथ ही विपक्ष पर तंज किया कि कल तक लोकतंत्र की नैतिक परंपराओं को दरकिनार कर अपना उम्मीदवार खड़ा करने वालों की पोल आज खुलने से बच गई । अन्यथा अध्यक्ष चुनाव में वोटिंग होती तो इंडी गठबंधन की संख्या 235 से घटकर 200 से नीचे भी जाना तय था । उन्होंने सुझाव दिया कि अब तो राहुल समेत सभी विपक्षी नेताओं को चुनावों में मिली अपनी हार स्वीकार करते हुए अब सदन में रचनात्मक सहयोग देना चाहिए ।

साथ ही उन्होंने सदन के अंदर लोकसभा अध्यक्ष द्वारा आपातकाल को लेकर प्रस्ताव लाने का स्वागत करते हुए कहा, लोकतंत्र की रक्षा और सम्मान के लिए देशवासियों के सामने लोकतंत्र कुचलने की कोशिशों की चर्चा बेहद आवश्यक हैं । जो लोग संविधान और लोकतंत्र समाप्त होने पर भ्रम फैलाकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रहे हैं, उनको भी अहसास होना चाहिए कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति का गला घोटना कैसा होता है। लेकिन आपातकाल के काले इतिहास पर सदन में चर्चा से उन्हे अपनी पोल खुलने का अहसास था । यही वजह है कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर लोकतंत्र के मंदिर में इमरजेंसी पर चर्चा और इस दौरान जान गंवाने वाले आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने के बजाय विपक्ष को हंगामा करना उचित लगा। उन्हे मालूम था कि संविधान की जिन प्रतियों को वे अपने साथ लेकर चल रहे हैं, उनका सर्वाधिक अपमान और समाप्त करने की कोशिश तो स्वयं उनकी सरकारों ने 50 वर्ष पहले आपातकाल लागू कर किया था । जिसमे लाखों लोगों को जेल में ठूंस दिया गया, पत्रकारिकता ही नही न्यायालय पर भी इमरजेंसी लगाई, आम लोगों के अधिकार छीन लिए गए, सैकड़ों लोगों ने इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन में अपनी जान गंवाई । यही वजह है, आपातकाल लागू करने के पाप की दोषी, कांग्रेस के सांसदों ने सदन में हंगामा किया । उन्होंने कटाक्ष किया कि जिस तरह कांग्रेस का आईने से मुंह फेरने मात्र से उनके चेहरे के दाग नहीं दूर हो सकते हैं ठीक उसी तरह संविधान बचाने का ड्रामा करने से जनता का विश्वास नही जीता जा सकता है।

 

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