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शिक्षा ही बढ़ा सकती है किसी कौम का जीवन स्तर, शिक्षा का प्रसार मानव जगत हेतु बड़े परोपकार के समान

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एएमयू ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन, मऊ द्वारा ‘सर सैय्यद डे’ वार्षिकोत्सव मनाया गया

शिक्षा ही बढ़ा सकती है किसी कौम का जीवन स्तर, शिक्षा का प्रसार मानव जगत हेतु बड़े परोपकार के समान

शिक्षा ही है अज्ञानता से उनमूलन का एक मात्र स्रोत

सर सैय्यद ने नये स्वभाव, नये प्रकाश, नये ज्ञान व नये प्रयोग विकसित करने के संसाधन उपलब्ध कराये

मऊनाथ भंजन। अलीगढ़ के पूर्व छात्रों द्वारा निर्मित एएमयू ओल्ड ब्वायज़ एसोसिएशन, मऊ द्वारा नगर के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र स्थित दारूल उलूम ब्वायज़ हाई स्कूल में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खां पर आधारित ‘सर सैय्यद डे’ वार्षिकोत्सव आयोजित किया गया, जिस में एकत्र होने वाले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र एवं छात्रायें एक साथ बैठकर सर सैय्यद अहमद खां द्वारा चलाये गये शिक्षा के मिशन को आगे बढ़ाने के लिये संकल्प लेते हैं। वे इस गोष्ठी के माध्यम से सार्थक शि़क्षा को अर्जित करने में विद्यमान बाधाओं को दूर करने पर विचार करते हैं तथा शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्ता से लोगों को अवगत कराते हैं। सर सैय्यद डे से सम्बद्ध आयोजित इस गोष्ठी में एएमयू के छात्रों ने भाषण एवं मकाला (निबंध) के माध्यम से विचार व्यक्त किये। इसी के साथ उपस्थित विद्वान अतिथियों ने भी शिक्षा के जादूई करिश्मों पर विस्तार से चर्चा की तथा शिक्षा को मानव समाज के नवसृजन का आधार बताया। इस गोष्ठी में प्रतियोगी परीक्षाओं में आल इण्डिया स्तर पर अपना स्थान बनाने वाले छात्रों को भी मोमेंटो दे कर सम्मानित किया गया जिसे छात्रों ने स्वयं अथवा उनके अभिभावकों ने प्राप्त कर गौरवांवित महसूस किया।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने अपने वक्तब्य में कहा कि शिक्षा के बिना मानव जीवन की कल्पना ही अधूरी है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हालात के साथ खुद को मोड़ लेते हैं और कुछ लोग हालात को मोड़ देते हैं। सर सैय्यद अहमद खां ने अशिक्षा के अधियारों से कौम को बाहर निकालने के लिये हालात को ही मोड़ दिया था और उन्होंने हर प्रकार की बाधाओं को मार्ग से हटाते हुये मुसलमानों को न सिर्फ शिक्षार्जन के लिये प्रेरित किया बल्कि उनके लिये एक विश्व विद्यालय की नींव डाल कर सैकड़ों वर्ष आगे तक का मार्ग प्रशस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि आंसू बहाने से बेहतर है कि हम इस दिशा में कार्य करें और सर सैय्यद अहमद खां के मिशन को आगे बढ़ायें। शिक्षा प्राप्ति हेतु यह भी आवश्यक है कि अर्जित की जाने वाली शिक्षा से समाज एवं देश का हित और उन्नति सम्बद्ध हो। श्री जमाल ने देशवासियों के मध्य विश्वास, प्रेम एवं सहिष्णु भावना को और मजबूत बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारा और दूसरी कौमों का जो जेहन बदल रहा है उसको रोका कैसे जाये इस मुद्दे पर भी गहन विचार करने की नितांत आवश्यकता है क्योंकि यह बदलाव हमारे संयुक्त सामाजिक ताने-बाने की मजबूती को लगातार कमजोर कर रहा है जो हम सभी के लिये दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समाज को बेहतर बनाने के लिये हम सभी को मिलकर काम करना चाहिये। श्री जमाल ने सर सैय्यद अहमद खां के शिक्षा के मिशन को आगे बढ़ाने के लिये सभी अलीग बेरादरान की खुल कर तारीफ करते हुये कहा कि जो लोग समाज के लिये दो कदम चलते हैं उनकी तारीफ की जानी चाहिये। आप तो सर सैय्यद खां के मिशन का प्रसार कर शिक्षा के प्रकाश को देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना चाहते हैं। यह मानव जगत पर बहुत बड़ा परोपकार होगा, इस लिये आप भी प्रशंसा के पात्र हैं। श्री जमाल ने एएमयू ओल्ड ब्वायज़ एसोसिएशन, मऊ द्वारा ‘सर सैय्यद डे’ वार्षिकोत्सव आयोजित करने पर पूरी टीम को बधाई दी।

शिक्षाविद ओवैस तरफदार ने सर सैय्यद अहमद खां के विचारों एवं कार्याें पर सूक्ष्म एवं गहन विचार व्यक्त करते हुये उन्हें प्रचण्ड शिक्षाविद, साहित्यकार, लेखक, विचारक, राजनीतिज्ञ एवं समाज सुधारक बताते हुये उनके द्वारा दिये गये अद्वितीय योगदान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सर सैय्यद ने अपनी दूरदर्शिता के चलते अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को कायम किया जो भारत में विशेषकर मुसलमानों के लिये शिक्षा स्रोत के रूप में अद्वितीय एंव एक मात्र ऐसी उपलब्धि है। उन्होेंने कहा कि सर सैय्यद अहमद खां ने अपने शिक्षा के मिशन को जन-जन तक पहुंचाने वाले उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये जिस रास्ते को चुना था वह रास्ता अत्यन्त कठिन था जिस पर 25 वर्षाें के सफर के दौरान उनकी आत्मा पर कितने जख्म लगे हम इसका अन्दाजा तक नहीं लगा सकते। इस रास्ते पर चलते हुये उनके पैरों पर पड़ने वाले फफोलों से बैण्डेज हटा कर नई नस्लों को दिखना चाहिये ताकि उन्हें यह एहसास हो कि एएमयू अलीगढ़ मात्र एक यूनिवर्सिटी का नाम नहीं है परन्तु यह एक मिशन एवं सोच का नाम है जो इज्जत से जीने के लिये शिक्षा अर्जित करते रहने की प्रतिबद्धता की प्रेरणा देती रही है। उन्होंने कहा कि हमें अपना जायजा लेना चाहिये कि अलीग होने के नाते हमने सर सैय्यद की तहरीक को जो कल भी आवश्यक थी और आज और भी जरूरी है पर कितना काम कर रहे हैं? अपनी इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के निर्वहन के सम्बन्ध में व्यक्तिगत रूप से स्वयं अपनी अंतरात्मा से पूछते रहना चाहिये ताकि हम सर सैय्यद खां के इस पवित्र मिशन को अपने रूटीन में बनाये रखें।

पूर्व सांसद सालिम अंसारी ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुये कहा कि इस बात पर विचार करना भी आवश्यक है कि हमने अपने शहर की उन्नति, गरीबों की सहायता तथा उत्तम समाज के सृजन एवं शिक्षार्जन तथा शिक्षा के प्रसार में आने वाली बाधाओं को दूर करने में क्या भूमिका निभाई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष जब सर सैय्यद डे मनाया गया था तो यह प्रण लिया था कि सर सैय्यद अहमद खां के शिक्षा के मिशन को आगे बढ़ाने के लिये हम अपने स्तर से योगदान करेंगे। आज के इस अवसर पर हमने अपने उस प्रण पर क्रिया रूप में कितना काम कर लिया है, इसकी समीक्षा भी आवश्यक है। इससे सर सैय्यद के मिशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी तथा इसी के साथ हम प्रगति के मार्ग में विद्यमान बाधाओं एवं चुनौतियों को भी समझ कर उन्हें दूर कर सकेंगे।

प्रो0 डा0 इश्तेयाक अहमद खान ने अपने एक शार्ट डिस्कोर्स (निबन्ध) के माध्यम से सर सैय्यद अहमद खां के कार्याें एवं उनके विचारों को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मैं बहरैन यूनिवर्सिटी में 25 सालों तक ऐसे ही सेलीब्रेशन का हिस्सा रहा हूँ परन्तु आज सर सैय्यद डे के इस अवसर पर मुझे मऊ के इतने शिक्षित लोगों को एक साथ सम्बोधित करने का अवसर पहली बार प्राप्त हुआ है जिसका श्रेय एएमयू ओल्ड ब्वायज़ एसोसिएशन, मऊ को प्राप्त है।

उक्त गोष्ठी में मकाला निगार (निबंधकार) एवं वक्ताओं में मोतीउर्रहमान, कामिल अलीग, परवेज चन्दन, डा0 सेराज अहमद आदि शामिल थे जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एवं इसके संस्थापक स्व0 मा0 सर सैय्यद अहमद खां की जीवनी पर विस्तृत प्रकाश डाला।

इस अवसर पर एएमयू ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन, मऊ के अध्यक्ष-शहाबुद्दीन इंजीनियर, मुख्य संरक्षक-अल्हाज अब्दुस्सुब्हान अलीग, सेक्रेट्री-सालिम सईद, शाहिद सुमन, आसिफ ताज, मास्टर आफताब, आरिफ ताज, कारी नदीम अख्तर, डा0 तय्यब, आरिफ एनएन, फिरोज तौकीर, ओजैर गिरहस्त, इश्रत कमाल एडवोकेट, आसिफ गिरहस्त, डा0 शकील आजमी, पूर्व प्रधानाचार्य तालीमुद्दीन इण्टर कालेज-मास्टर आसिफ अली, मास्टर अब्दुल्लाह, जावेद चंदन, जमील अहमद मोटीवेटर, डा0 नेयाज अहमद, मास्टर रफीक, खालिद अंसारी, हाजी फैय्याज सुमन, प्रबन्धक मदरसा दारूल उलूम-हाफिज अजमल, पुरस्कृत छात्र-छात्रायें तथा उनके अभिभावकगण, एसोसिएशन के सदस्यगण एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता शहाबुद्दीन इंजीनियर ने की तथा संचालन दारूल उलूम ब्वायज़ हाई स्कूल के प्रधानाचार्य शाहिद जमाल ने किया।

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