Doon University दून विश्वविद्यालय में सस्टेनेबल एनर्जी को लेकर हुई चर्चा
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दून यूनिवर्सिटी में सस्टेनेबल एनर्जी पर चर्चा
ब्यूरो रिपोरी
दून विश्वविद्यालय ने भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.) की पर्स (प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस) योजना के तत्वावधान में सस्टैनबल एनर्जी, एन्वाइरन्मन्ट, मोलेक्यूलस, मैटेरियलस एंड टेक्नोलॉजी पर कॉन्फ्रेंस की एक श्रृंखला शुरू की है।
इस श्रृंखला के पहले सम्मेलन का उद्घाटन आज प्रोफेसर एस.के. मेहता (कुलपति, लद्दाख विश्वविद्यालय), प्रो. योशिरो अज़ुमा (सोफिया विश्वविद्यालय, जापान) और प्रो. सुरेखा डंगवाल (कुलपति, दून विश्वविद्यालय) की गरिमामय उपस्थिति में किया गया है। प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (आर.एस.सी.) लंदन और अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (ए.सी.एस.) दून यूनिवर्सिटी के नॉलेज पार्टनर हैं। इस कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में शोधकर्ता भाग ले रहे हैं। अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (ए.सी.एस.) इस सम्मेलन में पांच पोस्टर प्राइज (पुरस्कार) और पांच ऑरल प्रेजेंटेशन प्राइज (पुरस्कार) देगी। इन पुरस्कारों के नाम हैं: ए.सी.एस. ऑर्गेनोमेटेलिक्स- बेस्ट पोस्टर प्राइज, ए.सी.एस. एप्लाइड एनर्जी मटेरियल्स- बेस्ट पोस्टर प्राइज, ए.सी.एस. सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग- बेस्ट पोस्टर प्राइज, ए.सी.एस.-इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री बेस्ट पोस्टर प्राइज, ए.सी.एस. सस्टेनेबल रिसोर्स मैनेजमेंट बेस्ट पोस्टर प्राइज, ए.सी.एस. एप्लाइड बायोमटेरियल्स – बेस्ट ऑरल प्रेजेंटेशन प्राइज, ए.सी.एस. सस्टेनेबल केमिस्ट्री और इंजीनियरिंग- बेस्ट ऑरल प्रेजेंटेशन प्राइज, ए.सी.एस. ई.एस. एंड टी│एयर – बेस्ट ऑरल प्रेजेंटेशन प्राइज, ए.सी.एस. ई.एस. एंड टी│वाटर – बेस्ट ऑरल प्रेजेंटेशन प्राइज और ए.सी.एस. एनर्जी, और फ्यूल – बेस्ट ऑरल प्रेजेंटेशन प्राइज । प्रो. योशिरो अज़ुमा ने बताया कि सस्टेनेबिलिटी वैज्ञानिक समुदाय की सबसे महत्वपूर्ण चिंता है। इसलिए, यह कॉन्फ्रेंस बहुत प्रासंगिक है और इस बात पर प्रकाश डालता है कि मोलेक्यूलस, मैटेरियलस एंड नई टेक्नोलॉजी सामग्री, पर शोध की मदद से ऊर्जा और पर्यावरण के संदर्भ में सस्टेनेबिलिटी (स्थिरता) कैसे प्राप्त की जा सकती है।
प्रोफेसर एस. के. मेहता (कुलपति, लद्दाख विश्वविद्यालय) ने बताया कि पर्स (प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.) का एक प्रमुख कार्यक्रम है। उन्होंने उल्लेख किया कि पर्स को डी.एस.टी. द्वारा उसी वर्ष 2009 में लॉन्च किया गया था जब दून विश्वविद्यालय ने अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया था। पर्स विशेष रूप से देश के विश्वविद्यालय क्षेत्र के लिए है। देश भर में लगभग 60 विश्वविद्यालय हैं जिन्हें पिछले 15 वर्षों के दौरान पर्स के तहत सहायता के लिए डीएसटी द्वारा चुना गया है। प्रो डंगवाल ने उल्लेख किया कि अब तक यह उत्तराखंड राज्य में एकमात्र दून विश्वविद्यालय है जिसे पर्स के तहत समर्थन के लिए डी.एस.टी. द्वारा चयनित किया गया है। पर्स योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों की अनुसंधान क्षमता को मजबूत करना और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के पोषण और देश में विश्वविद्यालयों के अनुसंधान एवं विकास आधार को मजबूत करने के लिए सहायता प्रदान करना है। पर्स के तहत, दून विश्वविद्यालय राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के प्रमुख क्षेत्र (यानी, स्वच्छ ऊर्जा) पर मिशन मोड अनुसंधान गतिविधियों को चलाने के लिए काम कर रहा है।
आयोजन समिति के सदस्य डॉ. अरुण कुमार, डॉ. हिमानी शर्मा, डॉ. चारु द्विवेदी, डॉ. आशा राम गैरोला, डॉ. कोमल, डॉ. सरिता, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. शिवानी वर्मा, डॉ. खुशबू, डॉ. उज्ज्वल कुमार, डॉ. सुनीत नैथानी, डॉ. विपिन कुमार और डॉ. राजेश भट्ट उद्घाटन सत्र में भी मौजूद थे।