South Asia 24×7 का मतलब पक्की खबर, देश और जहान की ताजातरीन खबरें,पत्रकारिता की नई आधारशिला, निष्पक्षता और पारदर्शिता अब, South Asia 24×7 पर खबर ग्राउंड जीरो से, मंझे हुए संवाददाताओं के साथ,हर जन मुद्दे पर, सीधा सवाल सरकार से ,सिर्फ South Asia 24 ×7 पर,पत्रकारिता की मजबूती के लिए जुड़िए हमारे साथ, South Asia 24×7 के यूट्यूब चैनल,फेसबुक और ट्विटर पर क्योंकि हम करते है बात मुद्दे की

South Asia24x7

Hindi News, Breaking News in Hindi, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi,South Asia24x7

छात्र परिषद चुनाव की तिथि घोषित करने हेतु छात्रों का राज्य सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन

1 min read

छात्र परिषद चुनाव की तिथि घोषित करने हेतु छात्रों का राज्य सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन

ब्यूरो रिपोर्ट

आज दून विश्वविद्यालय के छात्रों ने राज्य सरकार के निर्देशों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य छात्र परिषद चुनाव की तिथि घोषित करवाना था, क्योंकि अब तक यह तिथि घोषित नहीं की गई है और छात्रों को हाल ही में यह सूचना मिली कि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए चुनाव रद्द करने का निर्देश जारी किया है।

 

छात्रों के अनुसार, राज्य सरकार के आदेश में दो प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया गया है:

1. राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों की अंतिम सेमेस्टर परीक्षा की तिथि 9/11/2024 निर्धारित की है, जबकि दून विश्वविद्यालय के कैलेंडर में यह तिथि 21/11/2024 तय की गई है।

2. राज्य सरकार के 23/04/2024 के आदेश के अनुसार, चुनाव की समयसीमा 30/09/2024 तय की गई थी। चूंकि दून विश्वविद्यालय एक स्वायत्त संस्था है, चुनाव की तिथि तय करना विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है।

छात्रों में गहरी नाराज़गी है, क्योंकि उनका मानना है कि यह निर्देश उनकी आवाज़ को दबाने और छात्र परिषद के लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने के लिए जारी किया गया है। प्रदर्शन में शामिल प्रमुख छात्रों में प्रज्वल भट्ट, अभिजीत सती, अमित रंगड़, शुभम भारद्वाज, आशीष राणा, अंशित नौटियाल, कृष जोशी, सार्थक राणा और अन्य छात्र संघ के सदस्य शामिल थे।

छात्रों ने कुलपति से अनुरोध किया कि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय चुनाव की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जाए। उनका कहना है कि यदि छात्रों की मांगों को समय पर सुना नहीं गया, तो यह विरोध प्रदर्शन और अधिक तीव्र हो सकता है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!