Climate change बदलती मौसमी परिस्थितियां: मानसून 2023 का जिलेवार पुनरावलोकन
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बदलती मौसमी परिस्थितियां: मानसून 2023 का जिलेवार पुनरावलोकन
देश के 73 प्रतिशत हिस्से में मानसून सामान्य रहा, लेकिन जिलेवार आंकड़े विपरीत तस्वीर दिखाते हैं
ब्यूरो रिपोर्ट
मानसून में 81,852 जिला वर्षा दिवस के 6 प्रतिशत सामान्य वर्षा दर्ज की गई। 60 प्रतिशत से अधिक जिलेवार प्रतिदिन वर्षा के आंकड़े भारी कमी (60 प्रतिशत से अधिक कमी) या बिल्कुल वर्षा न होना दर्शाते हैं। देश में बीते पांच वर्ष में अत्यधिक वर्षा की सर्वाधिक घटनाएं (115.6 मिमी वर्षा से अधिक) दर्ज की गईं
अगस्त सबसे खराब प्रदर्शन वाला महीना रहा जब 76 प्रतिशत जिलेवार वर्षा दिवसों पर भारी कमी रही या बिल्कुल वर्षा नहीं हुई।
मानसून में भारत में 544 बाढ़ और अत्यधिक वर्षा की घटनाएं दर्ज की गईं।
123 घटनाओं के साथ हिमाचल प्रदेश में इस साल सर्वाधिक चरम मौसमी घटनाएं घटित हुईं जबकि 69 घटनाओं के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर। उत्तराखंड में 68 घटनाएं हुईं।
बीते दस में से नौ वर्षों में पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में नकारात्मक वर्षा दर्ज की गई है।
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सितंबर में सक्रिय मानसून के बावजूद 1 जून, 2023 से 4 अक्टूबर, 2023 की अवधि के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी मानकीकृत वर्षा सूचकांक (एसपीआई) डाटा से मौसम संबंधी सूखे की स्थिति की जानकारी देता है।
2023 का दक्षिण पश्चिम मानसून हाल ही में समाप्त हुआ, जिसमें लंबी अवधि के औसत (LPA) के 94% के बराबर ‘सामान्य से कम’ वर्षा हुई, जबकि पूर्वानुमान +/-4% की त्रुटि सीमा के साथ 96% वर्षा का था। हालांकि, चार माह लंबे मानसून पर वर्षा में बदलाव (कम-ज्यादा होना) की गति निरंतर हावी रही।
जुलाई सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला और आशंकित आपदा से बचाने वाला महीना था। इसमें 13% अधिक वर्षा दर्ज की गई, जो 2005 के बाद दूसरी सबसे अधिक है। इस महीने ने जून के खराब प्रदर्शन की भरपाई भी कर दी जो वर्षा में 10% की कमी के साथ समाप्त हुआ था।
खेती किसानी का काम भी मौसम के मिजाज के ऊपर निर्भर करता है देश के चाहे वह पर्वतीय क्षेत्र हो या मैदानी क्षेत्र वहां के किसानों की आस हमेशा से मौसम पर रही है।