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Environment of India होली पर भारत के कई राज्यों में पारा होगा 40 डिग्री के पार

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होली पर भारत के कई राज्यों में पारा होगा 40 डिग्री के पार

– जलवायु परिवर्तन के कारण इस वर्ष भारत में होली के त्योहार पर मौसम रहेगा अधिक गर्म
– अमेरिकी संस्था क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट में खुलासा, 25 मार्च को 40 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता तापमान
– मप्र, छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात समेत नौ राज्यों में मार्च में ही महसूस होगी अधिक गर्मी
– वर्ष 1970 से 2023 दिसंबर के बीच की अवधि का किया गया अध्ययन
– देश के 51 बड़े शहरों में मार्च में तापमान बढ़ने की प्रवृत्ति की भी किया गया आकलन
– वाराणसी और मिर्जापुर में तापमान बढ़ने की प्रवृत्ति कम देखी गई है, बाकी शहरों में बढ़ी
– इंदौर में पांच दशक पहले की तुलना में मार्च में तापमान बढ़ने का खतरा 8 तो भोपाल में 5.5 गुना

ब्यूरो रिपोर्ट

पर्यावरण का अध्ययन करने वाली संस्था क्लाइमेट सेंट्रल की ताजा रिपोर्ट आगाह करती है कि इस बार रंगों के त्योहार होली में भारत के एक बड़े हिस्से में लोगों को 40 डिग्री सेल्सियस के पार तापमान महसूस करना पड़ सकता है। वर्ष 1970 से वर्ष 2024 के मार्च और अप्रैल माह में तापमान के ट्रेंड की तुलना में यह तथ्य सामने आया है। पांच दशक से अधिक के अंतराल पर मार्च में होली के समय इस बढ़े हुए तापमान का कारण विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन को मान रहे हैं। 1970 के दशक में भारत के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों (चित्र 1) में आमतौर पर अधिक तेजी से तापमान बढ़ने की प्रवृत्ति रही है। इस अवधि में सबसे अधिक तापमान वृद्धि जम्मू-कश्मीर (2.8 डिग्री सेल्सियस) देखी गई है। अप्रैल में यह अधिक एकरूपता के साथ होती रही है। देश के उत्तर पूर्व में पहाड़ों से घिरे राज्य मिजोरम में इस संदर्भ में सबसे अधिक बदलाव देखा गया है।

चित्र-1: मार्च और अप्रैल में तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति। वृद्धि को वर्ष 1970 के सापेक्ष दर्शाया गया है।

होली के दौरान गर्मी का खतरा बढ़ाः
मार्च के महीने में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और बिहार में 1970 से ही होली के समय 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान की प्रवृत्ति (करीब 5 प्रतिशत की संभावना) देखी जाती रही है, लेकिन इस वर्ष यह खतरा इन तीनों राज्यों समेत कुल नौ राज्यों में हो सकता है। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, गुजरात, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश भी शामिल हैं। महाराष्ट्र में तापमान के इस स्तर पर पहुंचने की संभावना पहले की तुलना में 14 प्रतिशत तक अधिक हो गई है।

चित्र 2: 1970 में संभावना, 2024 में संभावना – मार्च/अप्रैल के आखिर में 40 डिग्री सेल्सियस के पार तापमान होने की संभावना

जलवायु और मौसम विशेषज्ञ यह कहते हैं:
जलवायु परिवर्तन के कारण मार्च में तापमान अधिक बढ़ने के संबंध में क्लाइमेट सेंट्रल के वाइस प्रेसीडेंट फार साइंस डा. एंड्रयू परशिंग कहते हैं कि हल्की सर्दी वाली परिस्थितयों से सीधे अधिक गर्म मौसम के बीच बहुत तेजी से बदलाव हुआ है। फरवरी के बाद मार्च में भी इसी पैटर्न के दोहराए जाने की संभावना है। भारत में तापमान बढ़ने के ये ट्रेंड मानव जनित जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम हैं। वहीं स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसीडेंट मेटीरियोलाजी एंड क्लाइमेट चेंज महेश पलावत का कहना है कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि बढ़ते तापमान के पीछे जलवायु परिवर्तन है। मार्च में गर्म हवाएं चलना दुर्लभ घटना है, लेकिन बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के साथ गर्म हवा और तापमान में वृद्धि हुई है। इस वर्ष भी हमें तेज गर्मी के लिए तैयार रहना चाहिए।

51 बड़े शहरों का भी किया अध्ययनः
क्लाइमेट सेंट्रल ने मार्च में तापमान बढ़ने के अपने इस अहम अध्ययन में भारत के 51 बड़े शहरों को भी शामिल किया है। इनमें से 37 शहरों में मार्च के महीने में 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तापमान होने की पहले के मुकाबले एक प्रतिशत अधिक है जबकि 11 शहरों में यह संभावना 10 प्रतिशत या इससे भी अधिक है। मदुरै शहर को यदि अपवाद मान लें तो 15 शहरों में मार्च के अंत तक एक दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचने का अधिक खतरा है (टेबल 1 देखें)।
छत्तीसगढ़ के शहर बिलासपुर में यह खतरा सबसे अधिक 31 प्रतिशत है जोकि 1970 की तुलना में ढाई गुना अधिक है। इस मामले में मध्य प्रदेश के इंदौर में मार्च में तापमान बढ़ने का खतरा सबसे कम (आठ प्रतिशत) है, लेकिन फिर भी यह 1970 की तुलना में आठ गुना से भी अधिक है। मदुरै और भोपाल में तापमान में वृद्धि का यह खतरा वर्ष 1970 की तुलना में क्रमशः 7.1 और 5.5 गुना अधिक पाया गय़ा है। इन दोनों शहरों में मार्च के महीने के अंत तक अधिक तापमान की क्रमशः 19 और 12 प्रतिशत संभावना है। छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर के लिए यह आंकड़ा वर्ष 1970 की तुलना में दोगुना हुआ है जबकि रायपुर में करीब 1.8 गुना हुआ है। वाराणसी और मिर्जापुर देश में एसे शहर हैं जहां वर्ष 1970 की तुलना में मार्च में तापमान अधिक होने की संभावना कम हुई है। वाराणसी और मिर्जापुर में यह आंकड़ा 0.9 गुना रह गया है।

City
past (~1970)
current (~2024)
Probability Ratio

Bilaspur
12%
31%
2.5

Nagpur
13%
27%
2.1

Bhilai
10%
20%
2.0

Kota
5%
20%
3.6

Raipur
11%
20%
1.8

Madurai
3%
19%
7.1

Jodhpur
3%
14%
4.5

Jabalpur
3%
14%
4.2

Bhopal
2%
12%
5.5

Vadodara
10%
12%
1.2

Varanasi
12%
10%
0.9

Gwalior
5%
10%
1.8

Mirzapur
11%
10%
0.9

Prayagraj
8%
10%
1.1

Indore
1%
8%
8.1

टेबल 1: 1970 के शुरुआती दशक और वर्तमान में मार्च के अंतिम दिनों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से पार होने की संभावना। संभावना का अनुपात के लिए वर्तमान संभावना को अतीत की संभावना से भाग देकर प्राप्त किया गया है।

अध्ययन की विधि
क्लाइमेट सेंट्रल ने यह अध्ययन करने के लिए मासिक औसतों की गणना की विधि अपनाई है। जिसमें एक जनवरी 1970 और 31 दिसंबर 2023 के बीच ईआरए5 के औसत तापमान की तुलना की गई है। ईआरए5 में मौसम केंद्रों, गुब्बारों और सेटेलाइट से प्राप्त मौसम के आंकड़ों को अत्याधुनिक कंप्यूटर माडल के माध्यम से परखा जाता है। इसमें भारत के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मासिक तापमान का औसत प्राप्त किया गया। चंडीगढ़ और लक्षद्वीप को कम क्षेत्रफल के कारण इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया। क्लाइमेट सेंट्रल वैज्ञानिकों और कम्युनिकेटर्स का एक स्वतंत्र नाम प्राफिट समूह है जो बदलती जलवायु से जुड़े तथ्यों और लोगों के जीवन इसके प्रभाव का अध्ययन करता है। इसमें वह मौसम वैज्ञानिकों, पत्रकारों और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अन्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करता है।

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