गांधी जयंती के मौके पर छात्र-छात्राओं स्वच्छता अभियान में लिया हिस्सा
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गांधी जयंती के मौके पर छात्र-छात्राओं स्वच्छता अभियान में लिया हिस्सा
By सोहन सिंह
2 अक्टूबर गांधी जयंती और लालबहादुर शास्त्री जयंती को पूरे देश के साथ ही साथ सभी जगह पर मनाया गया यह जयंती विशेष रूप से 2014 से स्वच्छ भारत अभियान के तहत मनाया जाता है, इसकी थीम स्वच्छता ही सेवा एक कदम स्वच्छता की ओर स्वच्छ उत्तराखंड स्वस्थ उत्तराखंड आदि स्लोगन के साथ ही साथ अहिंसा दिवस या शान्ति दिवस के रूप में संपूर्ण विश्व में आज ही के दिन मनाया जाता है
रा इ का बूरा और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बूरा के तत्वाधान में विद्यालय परिसर,नौले,धारे, सड़क आदि पर बिखरा कचरा को कूड़े दान में डाला गया,
इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रधानाचार्य बूरा डॉ0 जगमोहन सिंह नेगी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बूरा फार्मासिस्ट राजेश कुमार, शिक्षक प्रदीप कुमार, अजय सिंह, सोहन कठैत, शिकक्षिका सुमन कपरुवान आदि लोग शामिल हुए,
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर में हुआ था, जो उस समय ब्रिटिश भारत के तहत एक छोटी सी रियासत थी ¹।
*प्रारंभिक जीवन और शिक्षा*
गांधी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनकी मां पुतलीबाई एक साध्वी चरित्र, कोमल और भक्त महिला थी और उनके मन पर एक गहरी छाप छोड़ी थी ¹। गांधी जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की और बाद में समलदास कॉलेज, भावनगर में दाखिला लिया।
*दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष*
गांधी जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दक्षिण अफ्रीका में कानूनी प्रैक्टिस करने का निर्णय लिया। वहां उन्होंने गोरों द्वारा भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव का सामना किया और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी ¹। इस दौरान उन्होंने अपने स्वयं के जीवन में भी परिवर्तन किया, जैसे कि अपने कपड़े खुद इस्त्री करना और बाल काटना सीखना।
*भारत में स्वतंत्रता संग्राम*
गांधी जी जनवरी 1915 में भारत लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को अपनाया और भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया ¹। उनके नेतृत्व में भारत ने अंग्रेजों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ीं और अंततः 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की।
महात्मा गांधी का जीवन और दर्शन आज भी पूरे विश्व में प्रासंगिक है और उनकी विरासत भारतीयों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।