उत्तराखंड DIET D.El.Ed. प्रशिक्षुओं ने किया ऐलान, देहरादून में करेगे गरजना रैली
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उत्तराखंड DIET D.El.Ed. प्रशिक्षुओं ने किया ऐलान, देहरादून में करेगे गरजना रैली
ब्यूरो रिपोर्ट
*देहरादून*। उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा में भर्ती की मांग को लेकर 8 अप्रैल को रैली करने का ऐलान किया है बिंदाल से रैली करने का ऐलान किया जिसमें 13 डाईट के करीब 650 प्रशिक्षु शामिल होगे।
व्यवस्था लगातार बदहाल होती जा रही है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी और शिक्षण गुणवत्ता में गिरावट ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में *परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) में उत्तराखंड की गिरती रैंकिंग* इस बात का प्रमाण है कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बदतर होती जा रही है।
प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लगभग *3000 पद* रिक्त हैं, लेकिन इनकी भर्ती के लिए अब तक कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। इस स्थिति से नाराज DIET D.El.Ed. प्रशिक्षु(Batch 2020-21) जल्द ही बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की तैयारी में हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में DIET D.El.Ed. प्रशिक्षण एक राज्य वित्तपोषित पूर्व-सेवा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसमें चयन एक प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से होता है। प्रत्येक बैच में करीब 650 प्रशिक्षुओं का चयन होता है, जिन्हें SCERT द्वारा निर्धारित दो वर्षीय कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अंतर्गत शैक्षिक सिद्धांत, कक्षा शिक्षण, कार्यशालाएं, कौशल विकास, और विद्यालयों में वास्तविक शिक्षण प्रशिक्षण शामिल है।
*5 मार्च 2025 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार* अब नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए विभाग स्वतंत्र है, और उस पर कोई अदालती रोक नहीं है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे *2020-21 बैच के प्रशिक्षु* खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रशिक्षुओं का आरोप है कि विभाग की ओर से कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया जा रहा, और नीतियों की खामियों का खामियाजा प्रशिक्षुओं को भुगतना पड़ रहा है। वे यह भी कह रहे हैं कि जब सर्वोच्च न्यायालय की रोक हट चुकी है, तो अब द्वितीय चरण की शिक्षक भर्ती तत्काल निकाली जानी चाहिए।
डाइट प्रशिक्षु मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द *द्वितीय चरण की भर्ती* निकाली जाए और रिक्त पदों को भरा जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशिक्षुओं की नियुक्ति से सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार आ सकता है। ये प्रशिक्षु स्थानीय जरूरतों को समझते हैं, और उन्हें राज्य की भौगोलिक, सामाजिक एवं भाषाई विविधताओं के अनुरूप प्रशिक्षित किया गया है।
यदि सरकार जल्द कोई निर्णय नहीं लेती, तो प्रशिक्षु आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। अब यह देखना बाकी है कि प्रदेश सरकार योग्य प्रशिक्षित युवाओं को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाती है।