Almora news कुमाऊनी रामायण रूपांतरण पुस्तक का हुआ विमोचन
1 min read
कुमाऊनी रामायण रूपांतरण पुस्तक का हुआ विमोचन
रिपोर्ट ललित बिष्ट
अल्मोड़ा
कुमाऊनी भाषा और साहित्य के संवर्धन के लिए शिव मंदिर सभागार, रानीखेत में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विश्वम्भर बिशन दत्त जोशी’शैलज’ द्वारा लिखित पुस्तकों ‘कुमाउनी रामायण रुपांतरण’ और ‘पूर्व राग व्याकरण नव प्रकल्पन’ का लोकार्पण किया गया।
जिसका आयोजन रानीखेत सांस्कृतिक समिति ने किया था।
इस अवसर पर वक्ताओं ने अपने संबोधन में लोक भाषा कुमाउनी में रामायण का रुपांतरण करने के लिए डॉ शैलज का आभार जताते हुए कहा कि इस कृति से कुमाउनी साहित्य में वृद्धि होने के साथ ही मातृ भाषा के प्रचार में भी सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में डॉ शैलज का श्रमसाध्य लेखन प्रशंसा योग्य है। शिवमंदिर समिति की ओर से डॉ विश्वम्भर बिशन दत्त जोशी ‘शैलज’ का शाल ओढ़ाकर नागरिक सम्मान भी किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए साहित्यकर्मी विमल सती ने डॉ शैलज की साहित्य यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि डॉ शैलज द्वारा गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के बाल कांड और सुंदर काण्ड का कुमाउनी रूपांतरण पहले ही किया जा चुका था।अब श्री रामचरितमानस के सातों सोपानों का प्रकाशन कुमाउनी रामायण के रूप किया गया है।
रामायण जैसी धार्मिक, सांस्कृतिक कृति के लोकभाषा में आने के बाद आशा की जानी चाहिए जन जन तक कुमाऊंनी भाषा के प्रचार व रूझान में अभिवृद्धि होगी।विमल सती ने कहा कि गोस्वामी जी की रामचरितमानस का अनुवाद अक्षरश: नहीं है कथानक का वर्णन पूरा वही है ,उपमान कहीं -कहीं कुमाउनी के लिए गए हैं। कुछ नये छंदों की रचना आपने की है
महान साहित्यकार भारतेंदु ने कहा था निज भाषा उन्नति रहे जब अपनी भाषा का उत्थान होता है तो इससे देश का उत्थान होता है और देश समृद्ध शाली बनता है।
वहीं मानस से आए सभी छंदों को अपने छंदोबद्ध किया है, मात्रिक,वार्णिक छंदों में ये रचना प्रयास गेय रूप में आकर्षक बन पड़ी है।इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।