Exclusive news Gonda प्रशासनिक लापरवाही का शिकार पशु आश्रय केंद्र,अनदेखी बनी पशुओं के लिए जानलेवा
1 min readBig news Gonda प्रशासनिक लापरवाही का शिकार पशु आश्रय केंद्र,अनदेखी बनी पशुओं के लिए जानलेवा
प्रदीप शुक्ला
मुजेहना-गोंडा
EXclusive from ground zero
विकास खण्ड के ग्राम पंचायत त्रिलोकपुर की गौशाला में गायों की स्थिति का दर्दनाक मंजर देखने के बाद तो यही कहा जा सकता है कि गौ वंशों की दुर्दशा सबसे अधिक आश्रय केन्द्रो में हो रही है पशुओं की सुरक्षा के लिए बनाई गयी गौ शालाओं में रहने वाले मवेशियों से बाहर घूमने वाले मवेशियों की स्थिति बेहतर पाई जा रही है।
पशु आश्रय केदो की दुर्दशा का आखिर कौन है जिम्मेदार?
त्रिलोकपुर की गौशाला के मुख्यद्वार पर ताला लटकता मिला आस पास के लोगो से पूछने पर पता चला कि आश्रय केंद्र संचालक कहीं बाहर गया है। वहां मौजूद लोगों के सहयोग से मिट्टी की दीवाल पर चढ़कर भीतर दाखिल होते ही जो दर्द नाक मंजर देखने को मिला उसे शब्दों में लिख पाना तो कठिन है किन्तु प्रयास अवश्य किया जाएगा ताकि बेजुबान पशुओं की चीत्कार जिले के जिम्मेदार अफसरों तक पहुंच सके।
हमारे संवाददाता ने ग्राउंड जीरो की हकीकत को जानने की कोशिश को
इस आश्रय केंद्र के भीतर छोटे बड़े कुल पच्चीस की संख्या में पशु कैद हैं जिनमें गाय और गौवंश शामिल हैं। इनके चारे के इंतजाम में केवल सूखा भूसा मिला जो की काला पड़ चुका है पशु उसे खाते दिखे। नादों को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ की उसमे पानी की एक भी बूँद टिक नही सकती ।
सीएम योगी की योजनाओं को पलीता लगा रही है प्रशासनिक अधिकारी
गाय का एक नवजात बछड़ा घायल अवस्था में पड़ा तड़प रहा था आखों से खून बह रहा था इस दयनीय स्थिति को देखने के बाद मौके से ही मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से वार्ता की गयी तो उन्होंने बताया कि आश्रय केंद्र में बीमार पशुओं की जानकारी केयर टेकर अथवा ग्राम प्रधान द्वारा स्थानीय चिकित्सक को दी जानी चाहिए । सूचना मिलने पर हमारे चिकित्सक आश्रय केंद्र पहुंच कर इलाज उपलब्ध कराते है सूचना के आधार पर सम्बंधित की निर्देशित किया जा रहा है।
खण्ड विकास अधिकारी राजेन्द्र यादव ने बताया किननिरीक्षण किया जाएगा, जो खामियां मिलेगी उसमें सुधार किया जाएगा। इतनी कम संख्या में मवेशी होने के बावजूद दुर्दशा के सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए ग्राम प्रधान मिश्रीलाल कनौजिया से सम्पर्क करने की कोशिश की गयी किन्तु वे पहुंच से काफी दूर मिले।
केयरटेकर को क्यों समय पर नहीं मिलता है पशुओं की देखभाल का मानदेय
कुल मिला कर आश्रय केंद्र में रह रहे मवेशियों अथवा केंद्र में व्याप्त अब्यवस्थाओं के प्रति सभी अपना पल्ला झाड़ते नज़र आये। बाहर आने पर एक बृद्ध महिला ने जानकारी देते हुए बताया कि वो केयर टेकर की पत्नी है। पति रिस्तेदारी में गए हैं।
गौ शाला की दुर्दशा के सम्बन्ध में उन्होंने खुद बयाँ करते हुए बताया कि अगले वर्ष की मजदूरी आज तक नही मिली ग्राम प्रधान से दिक्कतों के बारे में बताया जाता है वे ध्यान नही देते। गरीब परिवार है जैसे तैसे परिवार पल रहा है। ऐसी हालत में पशुओं की स्थिति कैसे सुधारी जाए।